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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
शब्दार्थ - आइया - आदिम-प्रथम।
भावार्थ - हे भगवन्! संवत्सर, अयन, ऋतु, मास, पक्ष, अहोरात्र, मुहूर्त करण तथा नक्षत्र इनमें आदिम-प्रथम कौन-कौन से हैं?
आयुष्मन् श्रमण गौतम! इनमें क्रमशः चंद्र संवत्सर, दक्षिण अयन, पावस ऋतु, श्रावण मास, कृष्ण पक्ष, दिवस अहोरात्र, रुद्र मुहूर्त, बालव करण तथा अभिजित नक्षत्र - ये आदिम या प्रथम हैं।
हे भगवन्! पांच संवत्सरों के युग में अयन, ऋतु, मास, पक्ष, अहोरात्र तथा मुहूर्त कितनेकितने आख्यात हुए हैं?
हे गौतम! पांच संवत्सरों के युग में क्रमशः १० अयन, ३० ऋतु, ६० मास, १२० पक्ष, १८३० अहोरात्र तथा ५४६०० मुहूर्त बतलाए गए हैं।
नक्षत्र
(१८८) गाहा - जोगा १ देवय २ तारग्ग ३ गोत्त ४ संठाण ५ चंदरविजोगा ६।
कुल ७ पुण्णिम अमवस्सा य ८ सण्णिवाए द य णेया य १०॥१॥ कइ णं भंते! णक्खत्ता पण्णत्ता?
गोयमा! अट्ठावीसं णक्खत्ता पण्णत्ता, तंजहा-अभिई १ सवणो २ धणिट्ठा ३ सयभिसया ४ पुव्वभद्दवया ५ उत्तरभद्दवया ६ रेवई ७ अस्सिणी ८ भरणी ६ कत्तिया १० रोहिणी ११ मियसिर १२ अद्दा १३ पुणव्वसू १४ पूसो १५ अस्सेसा १६ मघा १७ पुव्वफग्गुणी १८ उत्तरफग्गुणी १६ हत्थो २० चित्ता २१ साई २२ विसाहा २३ अणुराहा २४ जेट्ठा २५ मूलं २६ पुव्वासाढा २७ उत्तरासाढा २८ इति।
भावार्थ - गाथा - योग, देवता, ताराग्र, गोत्र, संस्थान, चन्द्र - रवि योग, कुल, पूर्णिमा - अमावस्या सन्निपात तथा नेता (मास का परिसमापक नक्षत्र गण) ये यहाँ विवक्षित हैं॥१॥
हे भगवन्! नक्षत्र कितने कहे गए हैं?
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