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________________ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति सूत्र हे गौतम! जम्बूद्वीप में मंदर पर्वत से सर्वबाह्य चन्द्रमंडल पैंतालीस हजार तीन सौ तीस `योजन के अंतर पर आख्यात हुआ है। ३५. हे भगवन्! जंबूद्वीप में मंदर पर्वत से दूसरा बाह्य चन्द्रमंडल कितने अंतर पर कहा गया है ? हे गौतम! जम्बूद्वीप में मंदर पर्वत से दूसरा बाह्य चन्द्रमंडल ४५२९३ - योजन तथा इकसठ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के सात भागों में से तीन भाग योजनांश के अंतर पर कहा गया है। ६१ हे भगवन्! जंबूद्वीप में, मंदर पर्वत से तीसरा बाह्य चन्द्रमंडल कितने अंतर पर आख्यात हुआ है ? हे गौतम! वह ४५२५७- योजन तथा इकसठ भागों में बंटे हुए एक योजन के एक भाग ४१४ ह ६१ सात भागों में से छह भाग योजनांश के अंतर पर कहा गया है। ३५ इस क्रमानुसार प्रवेश करता हुआ चन्द्रपूर्वमंडल से उत्तर मंडल का संक्रमण करता हुआ एक - एक मंडल पर ३६- योजन तथा इकसठ भागों में बंटे हुए एक योजन के एक भाग के सात भागों में से चार भाग योजनांश की वृद्धि में कमी करता हुआ सर्वाभ्यंतर मंडल को उपसंक्रांत कर गति करता है। ६१ चन्द्रमंडल : विस्तार (१८०) सव्वब्भंतरे णं भंते! चंदमंडले केवइयं आयामविक्खम्भेणं केवइयं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! णवणउई जोयणसहस्साइं छच्चचत्ताले जोयणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साइं पण्णरस जोयणसहस्साइं अउणाणउई च जोयणाई किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते । अब्भंतराण्णंतरे सा चेव पुच्छा ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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