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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
हे भगवन्! तृतीय बाह्य सूर्यमंडल का आयाम-विस्तार एवं परिधि कितनी बतलाई गई है?
हे गौतम! इसका आयाम-विस्तार १००६४८३ योजन तथा परिधि ३१८२७६ योजन कही गई है।
इस प्रकार पूर्वोक्त क्रम से प्रवेश करता हुआ सूर्य पूर्वमंडल से उत्तर मंडल तक जाता हुआ, एक-एक मंडल पर ५० योजन की विस्तार वृद्धि कम करता हुआ, अठारह-अठारह योजन की परिधि में कमी करता हुआ, सर्वाभ्यंतर मंडल पर पहुँच कर आगे गतिशील होता है।
मुहूर्त्तगति
(१६६) जया णं भंते! सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ?
गोयमा! पंच पंच जोयणसहस्साई दोण्णि य एगावण्णे जोयणसए एगूणतीसं च सद्विभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवढेहिं जोयणसएहिं एगवीसाए य जोयणस्स सट्ठिभाएहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि सव्वन्भंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ।
जया णं भंते! सूरिए अब्भंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ?
गोयमा! पंच पंच जोयणसहस्साइं दोण्णि य एगावण्णे जोयणसए सीयालीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणुस्सस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं एगूणासीए जोयणसए सत्तावण्णाए य सट्ठिभाएहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगसट्टिहा छेत्ता एगूणवीसाए चुण्णियाभागेहिं सूरिए
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