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- जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
रम्यक् वर्ष
(१४०) कहि णं भंते! जंबूद्दीवे २ रम्मए णामं वासे पण्णत्ते?
गोयमा! णीलवंतस्स उत्तरेणं रुप्पिस्स दक्खिणेणं पुरथिमलवणसमुहस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं एवं जह चेव हरिवासं तह चेव रम्मयं वासं भाणियव्वं, णवरं दक्खिणेणं जीवा उत्तरेणं धणुं अवसेसं तं चेव।
कहि णं भंते! रम्मए वासे गंधावई णामं वटवेयड्डपव्वए पण्णत्ते? .
गोयमा! णरकंताए पच्चत्थिमेणं णारीकंताए पुरत्थिमेणं रम्मगवासस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं गंधावई णामं वट्टवेयड्डपव्वए पण्णत्ते, जं चेव वियडावइस्स तं चेव गंधावइस्सवि वत्तव्वं, अट्ठो बहवे. उप्पलाइं जाव गंधावईवण्णाई गंधावइप्पभाई पउमे य इत्थ देवे महिड्डिए जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, रायहाणी उत्तरेणंति।
से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-रम्मए वासे २?
गोयमा! रम्मगवासे णं रम्मे रम्मए रमणिज्जे रम्मए य इत्थ देवे जाव परिवसइ, से तेणटेणं।
भावार्थ - हे भगवन्! जंबूद्वीप के अंतर्गत रम्यक् वर्ष नामक क्षेत्र कहा बतलाया गया है?
हे गौतम! नीलवान् वर्षधर पर्वत के उत्तर में रुक्मी पर्वत के दक्षिण में पूर्ववर्ती लवण समुद्र के पश्चिम में एवं पश्चिमवर्ती लवण समुद्र के पूर्व में रम्यक् नामक क्षेत्र कहा गया है। उसका वर्णन हरिवर्ष नामक क्षेत्र के सदृश है।
___ इतना अंतर है-इसकी जीवा दक्षिण में तथा धनुपृष्ठ भाग उत्तर में है। अवशिष्ट वर्णन पूर्ववत् है।
हे भगवन्! रम्यक् क्षेत्र में गंधापाती नामक वृत्त वैताढ्य पर्वत किस स्थान पर अभिहित
हुआ है?
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