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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
विशेषता यह है-यहाँ अरुण संज्ञक देव वास करता है। यहाँ स्थित कमल आदि के यावत् वर्ण आभा विकटापाती वृत्त वैताढ्य के तुल्य हैं। यहाँ अत्यंत ऋद्धिशाली देव वास करता है, जिसकी राजधानी दक्षिण में बतलाई गई है।
हे भगवन्! इसका नाम हरिवर्ष क्षेत्र कैसे विश्रुत हुआ?
हे गौतम! हरिवर्ष क्षेत्र के मनुष्य रक्तवर्ण एवं रक्तप्रभा युक्त है तथा कुछ शंखदल के सदृश श्वेत है। यहाँ महान् ऋद्धिशाली यावत् पल्योपम आयुष्य युक्त हरिवर्ष देव निवास करता है। हे गौतम! इसी कारण यह हरिवर्ष क्षेत्र कहा गया है।
निषध वर्षधर पर्वत
(१००) कहि णं भंते! जंबुद्दीवे २ णिसहे णामं वासहरपव्वए पण्णत्ते? . ...
गोयमा! महाविदेहस्स वासस्स दक्खिणेणं हरिवासस्स उत्तरेणं पुरथिमलवणसमुदस्स पच्चत्थिमेणं पच्चत्थिमलवणसमुहस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे णिसहे णामं वासहरपव्वए पण्णत्ते, पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दुहा लवणसमुदं पुढे पुरथिमिल्लाए जाव पुढे पच्चत्थिमिल्लाए जाव पुढे चत्तारि जोयणसयाई उहूं उच्चत्तेणं चत्तारि गाउयसयाइं उव्वेहेणं. सोलस जोयणसहस्साई अट्ट य बायाले जोयणसए दोण्णि य एगूणवीसइभाए जोयणस्स विक्खंभेणं, तस्स बाहा पुरथिमपच्चत्थिमेणं वीसं जोयणसहस्साई एगं च पणटुं जोयणसयं दुण्णि य एगूणवीसइभाए जोयणस्स अद्धभागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं जाव चउणवइं जोयणसहस्साई एगं च छप्पण्णं जोयणसयं दुण्णि य एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणंति, तस्स धणुं दाहिणेणं एगं जोयणसयसहस्सं चउवीसं च जोयणसहस्साई तिण्णि य छायाले जोयणसए णव य एगूणवीसइभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं रुयगसंठाणसंठिए सव्वतवणिज्जमए अच्छे०, उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि य वणसंडेहिं जाव संपरिक्खित्ते।
णिसहस्स णं वासहरपव्वयस्स उप्पिं बहुसमरमणिजे भूमिभागे पण्णत्ते जाव
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