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________________ [14] - ४०० - ४५१ ४०५ | क्रं. विषय पृष्ठ | क्रं. विषय पृष्ठ १२१. सूर्यमंडल : आयाम विस्तार आदि ३८६ | १४३. नक्षत्रों के गोत्र एवं संस्थान, ४४० १२२. मुहूर्त गति | १४४. नक्षत्र चन्द्र एवं सूर्य का योग ४४२ १२३. दिवस रात्रि प्रमाण ३६६ | १४५. कुल, उपकुल, कुलोपकुल १२४. ताप क्षेत्र अमावस्या पूर्णिमा ४४४ १२५. लेश्या प्रभाव एवं सूर्यदर्शन . १४६. मास समापक नक्षत्र १२६. क्षेत्र-स्पर्श १४७. सूर्य चन्द्र एवं तारागण . ४५७ १२७. सूर्य की अवभासन आदि क्रिया ४०६ १४८. चन्द्र परिवार .४५८ १२८. सूर्य द्वारा परितापित प्रदेश ४०६ / १४६. गतिक्रम ४५६ १२९. ज्योतिष्क देवों की स्थिति १५०. चतुर्विध रूपधारी विमान एवं वैशिष्ट्य . वाहक देव १३०. इन्द्र के अभाव में वैकल्पिक १५१. ज्योतिष्क देवों की गति व्यवस्था का तारतम्य १३१. चन्द्र मंडल ४०६ | १५२. ज्योतिष्क देवों की ऋद्धि ४६८ १३२. चन्द्र मंडल : विस्तार ४१४ । | १५३. तारों का पारस्परिक अंतर १३३. चन्द्र मुहूर्त गति | १५४. ज्योतिष्क देवों की प्रमुख देवियाँ ४६६ १३४. नक्षत्र मंडल आदि | १५५. नक्षत्रों का अधिष्ठायक देव ४७१ १३५. संवत्सर भेद | १५६. देवों की काल स्थिति ४७२ १३६. मास पक्ष आदि ४२६ । १५७. संख्या तारतम्य ४७३ १३७. करण विवेचन | १५८. तीर्थंकरादि संख्या क्रम ४७४ १३८. संवत्सर अयन, ऋतु आदि १५६. जंबूद्वीप का विस्तार ४७७. १३६. नक्षत्र ४३६ | १६०. जंबूद्वीप की नित्यता, अनित्यता १४०. नक्षत्र योग ४३७ / १६१. जंबूद्वीप का स्वरूप ४७८ १४१. नक्षत्रों के देवता ४३८ | १६२. जंबूद्वीप : नामकरण ४७६ १४२. नक्षत्र संबद्ध तारे ४३६ | १६३. उपसंहार ४०८ ४६६ ४१७ ४२० २३३ दि .४३५ । ४८० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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