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________________ चउत्थं अज्झयणं - चौथा अध्ययन कृष्णा आर्या (२) एवं कण्हा वि, णवरं महासीह - णिक्कीलियं तवोकम्मं जहेव खुड्डागं, णवरं चोत्तीसइमं जाव णेयव्वं, तहेव ऊसारेयव्वं, एक्काए परिवाडीए एगं वरिसं छम्मासा अट्ठारस य दिवसा । चउण्हं छ वरिसा दो मासा बारस य अहोरत्ता, सेसं जहा कालीए जाव सिद्धा । कठिन शब्दार्थ - महासीह णिक्कीलियं - महासिंह- निष्क्रीडित, ऊसारेयव्वं जाता है। : भावार्थ इस प्रकार कृष्णादेवी का भी चरित्र जानना चाहिए। यह भी श्रेणिक राजा की भार्या और कोणिक राजा की छोटी माता थीं। दीक्षा ले कर आर्य चन्दनबाला आर्या की आज्ञा प्राप्त करके 'महासिंह- निष्क्रीड़ित ' तपस्या की । जिस प्रकार लघुसिंह - निष्क्रीड़ित तप की विधि है, उसी प्रकार महासिंह-निष्क्रीड़ित तप की भी है। विशेषता यह है कि लघुसिंह- निष्क्रीड़ित प में एक उपवास से ले कर नौ उपवास तक ऊपर चढ़ कर उसी क्रम से पीछे उतरा जाता है। किन्तु महासिंह - निष्क्रीड़ित तप में एक उपवास से ले कर सोलह उपवास तक ऊपर चढ़ कर फिर उसी क्रम से नीचे उतरा जाता है। उसकी विधि इस प्रकार है - सर्वप्रथम उपवास किया, पारणा कर के बेला किया। पारणा कर के उपवास किया। इस प्रकार तेला, बेला, चोला, तेला, पचोला, चोला, छह, पांच, सात, छह, आठ, सात नौ, आठ, दस, नौ, ग्यारह, दस, बारह, ग्यारह, तेरह, बारह, चौदह, तेरह, पन्द्रह, चौदह, सोलह, पन्द्रह, सोलह, चौदह, पन्द्रह, तेरह, चौदह, बारह, तेरह, ग्यारह, बारह, दस, ग्यारह, नौ, दस, आठ, नौ, सात, आठ, छह, सात, पांच, छह, चोला, पचोला, तेला, चोला, बेला, तेला, उपवास, बेला और उपवास । इस प्रकार एक परिपाटी की। जिसमें एक वर्ष, छह महीने और अठारह दिन लगे। इसमें इकसठ पारणे Jain Education International - For Personal & Private Use Only - उतरा www.jalnelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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