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________________ १६४ अन्तकृतदशा सूत्र ********** **************** **************** सुधर्मा स्वामी ने कहा - 'हे जम्बू! तीसरे अध्ययन में महाकाली रानी का वर्णन है। वह श्रेणिक राजा की भार्या और कोणिक राजा की छोटा माता थी। उन्होंने भी सुकाली रानी के समान दीक्षा धारण की और ‘लघुसिंह-निष्क्रीड़ित' नामक तप किया। वह इस प्रकार है - सर्व प्रथम उपवास किया। पारणा किया। इसकी भी पहली परिपाटी के सभी पारणों में विगयों का सेवन वर्जित नहीं था, फिर बेला किया। पारणा कर के उपवास किया। फिर पारणा कर के तेला किया। इस प्रकार बेला, चोला, तेला, पचोला, चोला, छह, पांच, सात, छह, आठ, सात, नौ और आठ किये। . . .. वीसइमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारिता सोलसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता अट्ठारसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउद्दसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता सोलसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता बारसमं करेइ, करित्ता सव्व-कामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउद्दसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता दसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता बारसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता अट्ठमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता दसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता छटुं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारिता अट्ठमं करेड़, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउत्थं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता छटुं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउत्थं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारे। ___ भावार्थ - फिर नौ, सात, आठ, छह, सात, पांच, छह, चार, पांच, तीन, चार, दो, तीन, दो और उपवास किया। इस प्रकार लघुसिंह-निष्क्रीड़ित तप की एक परिपाटी की। तहेव चत्तारि परिवाडीओ। एक्काए परिवाडीए छम्मासा सत्त य दिवसा। चउण्हं दो वरिसा अट्ठावीसा य दिवसा जाव सिद्धा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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