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कठिन शब्दार्थ - पढमा प्रथम, परिवाडी - परिपाटी, एगेणं - एक, संवच्छरणं संवत्सर (वर्ष), तिहिं मासेहिं - तीन माह, बावीसाए - बाईस, अहोरत्तेहिं - दिन, अहासुत्तंसूत्रानुसार, आराहिया आराधक ।
अन्तकृतदशा सूत्र
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भावार्थ इस प्रकार काली आर्या ने रत्नावली तप की एक परिपाटी (लड़ी) की आराधना की । रत्नावली की यह एक परिपाटी एक वर्ष तीन महीना और बाईस दिन में पूर्ण होती है। इस एक परिपाटी में तीन सौ चौरासी दिन तपस्या के और अठासी दिन पारणा के होते. हैं। इस प्रकार कुल चार सौ बहत्तर दिन होते हैं।
दूसरी परिपाटी
तयाणंतरं च णं दोच्चाए परिवाडिए चउत्थं करेइ, करित्ता विगइवज्जं पारेइ, पारिता छटुं करे, करित्ता विगइवज्जं पारेइ, पारित्ता एवं जहा पढमाए परिवाडिए तहा बीया विवरं सव्वत्थपारणए विगइवज्जं पारेइ जाव आराहिया भवइ ।
कठिन शब्दार्थ - तयाणंतरं तदनन्तर, दोच्चाए - दूसरी, विगइवज्जं विगयवर्जित, सव्वत्थपारणए सभी पारणों में ।
भावार्थ - इसके बाद काली आर्या ने रत्नावली तप की दूसरी परिपाटी प्रारम्भ की। उन्होंने पहले उपवास किया। उपवास का पारणा किया। पारणे में किसी भी प्रकार के विगय का सेवन नहीं किया अर्थात् दूध, दही, घी, तेल और मीठा इन पांच विगयों का लेना बंद कर दिया। इस प्रकार उन्होंने उपवास का पारणा कर के बेला किया। पारणा किया । इस दूसरी परिपाटी के सभी पारणों में पांचों विगय का त्याग कर दिया। इसी प्रकार तेला किया। पारणा कर के आठ बेले किए। पारणा कर के उपवास किया। फिर बेला किया। तेला किया, फिर चार, पांच यावत् सोलह उपवास तक किये। फिर पन्द्रह, चौदह, तेरह, बारह, ग्यारह, दस, नौ, आठ, सात, छह, पांच, चार, तीन, दो और एक उपवास किया। जिस प्रकार पहली परिपाटी की, उसी प्रकार दूसरी परिपाटी भी की, परन्तु इसमें सभी पारणें विगय - वर्जित किये।
तीसरी-चौथी परिपाटी
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तयाणंतरं च णं तच्चाए परिवाडिए चउत्थं करेइ, करित्ता अलेवाडं पारेइ, सं तव । एवं चउत्था परिवाडी, णवरं सव्वत्थपारणए आयंबिलं पारे । सेसं तं चेव ।
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