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अहमं अज्झायणं - अष्टम अध्ययन
हरिचंदन गाथापति एवं हरिचंदणे विगाहावई सागेए णयरे बारसवासा परियाओ। विपुले सिद्धे।
भावार्थ - इसी प्रकार हरिचन्दन गाथापति का वर्णन है। ये साकेत नगरी के थे। दीक्षा ले कर बारह वर्ष तक चारित्र का पालन किया और विपुलगिरि पर सिद्ध हुए।
॥ छठे वर्ग का आठवाँ अध्ययन समाप्त॥
णवमं अज्झयणं - नौवां अध्ययन
वारत्तक गाथापति एवं वारेत्तए वि गाहावई, णवरं रायगिहे णयरे बारस-वासा परियाओ। विपुले सिद्धे।
भावार्थ - इसी प्रकार वारत्त (वारत्तक) गाथापति का वर्णन है। ये राजगृह नगर के थे। दीक्षा ले कर बारह वर्ष तक श्रमण पर्याय का पालन किया और विपुलगिरि पर सिद्ध हुए।
॥ छठे वर्ग का नववाँ अध्ययन समाप्त॥
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