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________________ १०० अन्तकृतदशा सूत्र . ****************************** 本来来来来来来来来来来************ संयम धारण करने से स्वर्ग-अपवर्ग की प्राप्ति होती है। मैंने पूरे जीवन भर अनेकों युद्ध किए, भोगो में डूबा रहा, फिर मेरा अगला जन्म कैसा होगा? यह जानने के लिए कृष्ण महाराज पूछते हैं - भविष्य पृच्छा (५४) तए णं से कण्हे वासुदेवे अरहं अरिट्ठणेमि एवं वयासी - अहं णं भंते! इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिस्सामि? कहिं उववज्जिस्सामि? ...... कठिन शब्दार्थ - कालमासे - काल के समय, कालं किच्चा - काल करके, कहिंकहां, गमिस्सामि - जाऊंगा, उववज्जिस्सामि - उत्पन्न होऊँगा। ' भावार्थ - यह सुन कर कृष्ण-वासुदेव ने भगवान् अरिष्टनेमि से पूछा - 'हे भगवन्! मैं यहाँ से काल के समय काल कर के कहाँ जाऊँगा, कहाँ उत्पन्न होऊँगा?' .. भगवान् द्वारा भविष्य कथन ___तएणं अरहा अरिट्ठणेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी - “एवं खलु कण्हा! तुमं बारवईए णयरीए सुरग्गिदीवायण-कोव-णिद्दड्ढाए अम्मापिइणियगविप्पहूणे रामेण-बलदेवेण सद्धिं दाहिण-वेयालिं अभिमुहे जोहिटिल्लपामोक्खाणं पंचण्हं पंडवाणं पंडुरायपुत्ताणं पासं पंडुमहुरं संपत्थिए कोसंबवणकाणणे णग्गोहवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टए पीयवत्थपच्छाइयसरीरे जराकुमारेणं तिक्खेणं कोदंडविप्पमुक्केणं इसुणा वामे पाए विद्धे समाणे कालमासे कालं किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए जाव उववज्जिहिसि।" ____ कठिन शब्दार्थ - सुरग्गिदीवायण-कोव-णिद्दवाए - सुरा, अग्नि और उपायन ऋषि के कोप के कारण नष्ट हो जाने पर, अम्मापिइणियगविप्पहूणे - माता-पिता एवं स्वजनों का वियोग हो जाने पर, रामेण-बलदेवेण - राम बलदेव के, सद्धिं - साथ, दाहिण-वेयालिं अभिमुहे - दक्षिणी समुद्र के तट की ओर, जोहिडिल्लपामोक्खाणं - युधिष्ठिर प्रमुख, पंचहं पंडवाणं - पांच पांडवों के, पंडुरायपुत्ताणं - पाण्डु राजा के पुत्र, पंडुमहुरं - पाण्डु Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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