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________________ १७५ यवमध्य एवं वज्रमध्य चंद्रप्रतिमाएँ xxxxxkkkkkkkkar*********************************** दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए सत्त पाणस्स, अट्ठमीए से कप्पइ अट्ठ दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए अट्ठ पाणस्स, णवमीए से कप्पइ णव दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए णव पाणास्स, दसमीए से कप्पइ दस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए दस पाणस्स, एगार( सी )समीए से कप्पइ एगारस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए एगारस पाणस्स, बारसमीए से कप्पइ बारस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए बारस पाणस्स, तेरसमीए से कप्पइ तेरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए तेरस पाणस्स, चोइसमीए से कप्पइ चोइस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए चोइस पाणस्स, पण्णरसमी( पुण्णिमा )ए से कप्पइ पण्णरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए पण्णरस पाणस्स, बहुलपक्खस्स से पाडिवए कप्पंति चोइस (दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए चोइस पाणस्स सव्वेहिं दुप्पय जाव णो आहारेज्जा), बिइयाए कप्पइ तेरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए तेरस पाणस्स जाव णो आहारेजा, तइयाए कप्पड़ बारस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए बारस पाणस्स जाव णो आहारेजा, चउत्थीए कप्पइ एक्कारस दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, पंचमीए कप्पइ दस दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, छट्ठीए कप्पड़ णव दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेज्जा, सत्तमीए कप्पइ अट्ट दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेज्जा, अट्ठमीए कप्पइ सत्त दत्तीओ भोयणस्स जाव णो. आहारेजा, णवमीए कप्पइ छ दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, दसमीए कप्पड़ पंच दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेज्जा, एक्कारसीए कप्पड़ चउदत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, बारसीए कप्पइ ति दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, तेरसीए कप्पइ दो दत्तीओ भोयणस्स जाव णो आहारेजा, चउद्दसीए कप्पइ एगा दत्ती भोयणस्स जाव णो आहारेज्जा, अमावासाए से य अभत्तट्टे भवइ, एवं खलु एसा जवमझण्णचंदपडिमा अहासुत्तं अहाकप्पं जाव अणुपालिया भवइ ॥२६७॥ बारमझण्णं चंदपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स णिच्चं मासं वोसट्टकाए चियत्तदेहे जेका परिसहोवसग्गा समुप्पजंति, तंजहा - दिव्वा वा माणुस्सगा वा तिरिक्खजोणिया वा अणुलोमा वा पडिलोमा वा, तत्थ अणुलोमा वा ताव वंदेजा वा णमंसेज्जा वा समाजा वा सम्माणेजा वा कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पन्जुवासेजा, तत्थ पडिलोमा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004177
Book TitleTrini Ched Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages538
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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