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________________ व्यवहार सूत्र - नवम उद्देशक १६४ didattatrika सप्तसप्तमिका आदि भिक्षु प्रतिमाएँ सत्तसत्तमिया णं भिक्खुपडिमा एगूणपण्णाए राइदिएहिं एगेण छण्णउएणं भिक्खासएणं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अणुपालिया भवइ॥२५५॥ अट्टअट्ठमिया णं भिक्खुपडिमा चउसट्ठीए राइदिएहिं दोहि य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अणुपालिया भवइ ॥२५६॥ ___णवणवमिया णं भिक्खुपडिमा एगासीए राइदिएहिं चउहि य पंचुत्तरेहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अणुपालिया भवइ ॥२५७॥ दसदसमिया णं भिक्खुपडिमा एगेणं राइंदियसएणं अद्धछठेहि य भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अणुपालिया भवइ॥२:५८॥ कठिन शब्दार्थ - सत्तसत्तमिया - सप्तसप्तमिका - सात-सात दिनों की, भिक्खुपडिमाभिक्षु प्रतिमा, एगणपण्णाए - उनपचास, राइदिएहिं - रात-दिन में, एगेण छपणउएणं भिक्खासएणं - एक सौ छियानवे भिक्षादत्तियों द्वारा, अहासुत्तं - यथासूत्र - सूत्रानुसार, अहाकप्पं - यथाकल्प - कल्पानुसार, अहामग्गं - यथामार्ग - मार्गानुरूप, अहातच्चं - यथातथ्य - सिद्धान्तानुसार यथावत्, सम्मं - सम्यक् - भलीभांति, काएणं - काय द्वारा - मन, वचन एवं काय रूप तीनों योगों द्वारा, फासिया - स्पर्शित - विराधना न करते हुए सेवित, पालिया - पालित, सोहिया - शोधित - जरा भी अतिचार के अभाव के कारण परिशोधित, तीरिया - तीरित - पार की हुई, किट्टिया - कीर्तित - आचार्यों के समक्ष प्रतिमा-समाप्ति के संबंध में कथित, आणाए - जिनाज्ञा - तीर्थंकर देव की आज्ञा के अनुसार, अणुपालिया - अनुपालित - सम्यक्, यथावत् परिपालित, अट्टअट्ठमिया - अष्टअष्टमिका - आठ-आठ दिनों की, चउसट्ठीए - चौसठ, दोहि य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं - दो सौ अट्ठासी भिक्षादत्तियों द्वारा, णवणवमिया - नवनवमिका - नौ-नौ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004177
Book TitleTrini Ched Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages538
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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