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________________ ९३ संघाटकप्रमुखा का देहावसान होने पर साध्वी का विधान कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, णो सा कप्पड़ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वत्थए, जं तत्थ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वसइ, सा संतरा छए वा परिहारे वा॥१४१॥ वासावासं पज्जोसविया णिग्गंथी य जं पुरओ काउं विहरइ सा आहच्च वीसंभेजा, अत्थि या इत्थ काइ अण्णा उवसंपजणारिहा सा उवसंपजियव्वा, णत्थि या इत्थ काइ अण्णा उवसंपज्जणारिहा तीसे य अप्पणो कप्पाए असमत्ते कप्पइ सा एगराइयाए. पडिमाए जण्णं जण्णं दिसं अण्णाओ साहम्मिणीओ विहरंति तण्णं तण्णं दिसं उवलित्तए, णो सा कप्पइ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पइ सा तत्थ कारणवत्तियं वत्थए, तंसि च णं कारणंसि णिट्ठियंसि परो वएजा-वसाहि अज्जे ! एगरायं वा दुरायं वा, एवं सा कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, णो सा कप्पइ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वत्थए, जं तत्थ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वसइ, सा संतरा छए वा परिहारे वा॥१४२॥ कठिन शब्दार्थ - उवसंपजणारिहा - उपसंपन्नता - अग्रणी पद के योग्य, साहम्मिणीओ - साधर्मिणियाँ, अजे - हे आर्ये! भावार्थ - १४१. ग्रामानुग्राम विहार करती हुई निर्ग्रन्थिनियाँ, जिसको अपनी प्रमुखा या अग्रणिणी मानकर विहार करती हों यदि अग्रणिणी का आयुक्षय होने से देहावसान हो जाए तो वहाँ अवशिष्ट अन्य निर्ग्रन्थिनी अग्रणिणी - प्रमुखा के पद योग्य हो तो उसे उस पद पर मनोनीत करना चाहिए। ___ यदि वहाँ अवशिष्ट अन्य साध्वी अग्रणिणी के पद योग्य न हो और अवशिष्ट साध्वी ने स्वयं भी अपना कल्प - निशीथ आदि का अध्ययन समाप्त न किया हो तो उसे मार्ग में एक-एक रात रुकते हुए जिस-जिस दिशा में अन्य साधर्मिणी साध्वियाँ विचरणशील हों उसउस दिशा में जाए। मार्ग में उसे विहारवर्तित्व - धर्म प्रसार आदि के लक्ष्य से ठहरना नहीं कल्पता। रुग्णता आदि किसी विवशतापूर्ण कारण के होने से ठहरना कल्पता है। रुग्णता आदि कारण के समाप्त होने पर यदि कोई चिकित्सक आदि विशिष्टजन कहें - हेमायें। एक या दो रात और ठहरो तो उसे एक या दो रात और ठहरना कल्पता है। किन्तु Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004177
Book TitleTrini Ched Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages538
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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