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पापसेवी बहुश्रुतों के लिए पद नियुक्ति का निषेध *aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa**
गणावच्छेइए बहुस्सुए बब्भागमे बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसावाई असुई पावजीवी, जावज्जीवाए तस्स तप्पत्तियं णो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा॥९३॥
आयरियउवज्झाए बहुस्सुए बब्भागमे बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसावाई असुई पावजीवी, जावज्जीवाए तस्स तप्पत्तियं णो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए।।९४॥
बहवे भिक्खुणो बहुस्सुया बब्भागमा बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसावाई असुई पावजीवी, जावन्जीवाए तेसिं तप्पत्तियं णो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उहिसित्तए वा धारेत्तए वा॥१५॥
बहवे गणावच्छेइया बहुस्सुया बब्भागमा बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसावाई असुई पावजीवी, जावज्जीवाए तेसिं तप्पत्तियं णों कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा॥९६ ॥
बहवे आयरियउवज्झाया बहुस्सुया बब्भागमा बहुसो बहुसु आगाढागाढेसु कारणेसु माई मुसावाई असुई पावजीवी, जावज्जीवाए तेसिं तप्पत्तियं णो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा॥९७॥. ___ बहवे भिक्खुणो बहवे गणावच्छेइया बहवे आयरियउवज्झाया बहुस्सुया बब्भागमा बहुसो बहुसु आगाडागाडेसु कारणेसु माई मुसावाई असुई पावजीवी, जावज्जीवाए तेसिं तप्पत्तियं णो कप्पइ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा॥९८॥त्ति बेमि॥ववहारस्स तइओ उद्देसओ समत्तो॥३॥
कठिन शब्दार्थ - बहुसो - बहुत बार, बहुसु - बहुत से, आगाढागाढेसु - प्रगाढ़ या विवादास्पद कारणों के होने पर, माई - मायावी - माया या छल युक्त, मुसावाई - असत्यभाषी, सुई - अशुचि - अपवित्र, पावजीवी - पापजीवी - पापाचरण पूर्वक जीवन व्यतीत करने वाला, तस्स - उसको, उसके लिए, तेसिं - उनको या उनके लिए। ___ भावार्थ - ९२. बहुश्रुत - विशिष्ट ज्ञानी, बहुआगमज्ञ - अनेक आगमों का वेत्ता भिक्षु अनेक बार प्रगाढ विवादास्पद अनेक कारणों के होने पर यदि माया, मृषावाद एवं अपवित्रता
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