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बिइओ उद्देसओ- द्वितीय उद्देशक
विहरणशील साधर्मिकों के लिए परिहार-तप का विधान . दो साहम्मिया एगयओ विहरंति, एगे तत्थ अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवेत्ता आलोएज्जा, ठवणिजंठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियं॥४०॥
दो साहम्मिया एगयओ विहरंति, दो वि ते अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवेत्ता आलोएज्जा, एगं तत्थ कप्पागं ठवइत्ता एगे णिव्विसेजा, अह पच्छा से वि णिव्विसेजा॥४१॥
बहवे साहम्मिया एगयओ विहरंति, एगे तत्थ अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवेत्ता आलोएजा, ठवणिज ठवइत्ता करणिजं वेयावडियं॥४२॥ ____बहवे साहम्मिया एगयओ विहरंति, सव्वे वि ते अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवेत्ता
आलोएजा, एगं तत्थ कप्पागं ठवइत्ता अवसेसा णिव्विसेजा, अह पच्छा से वि णिव्विसेजा॥४३॥
परिहारकप्पट्ठिए भिक्खू गिलायमाणे अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवेत्ता आलोएग्जा, से य संथरेजा ठवणिजं ठवइत्ता करणिजं वेयावडिय।। ४४॥ .. से य णो संथरेजा अणुपरिहारिएणं करणिजं वेयावडियं, से य संते बले अणुंपरिहारिएणं कीरमाणं वेयावडियं साइज्जेज्जा, से विकसिणे तत्थेव आरुहेयव्वे सिया॥४५॥
कठिन शब्दार्थ - एगयओ - एक साथ, कप्पागं - कल्पाक - अनुशास्ता या अग्रणी, णिव्विसेज्जा - परिहार-तप में सन्निविष्ट - संलग्न रहे, अह - अथ - तदनन्तर, से वि - वह भी, सव्वे - सब, अवसेसा - बाकी के, गिलायमाणे - रुग्ण होने पर, संथरेज्जा - समर्थ हो, अणुपरिहारिएणं - आनुपारिहारिक, कीरमाणं - क्रीयमाण - की जाती हुई, साइज्जेज्जा - अनुमोदित करे।
भावार्थ - ४०. दो साधर्मिक भिक्षु एक साथ विचरण करते हों तथा यदि उनमें से कोई
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