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व्यवहार सूत्र - प्रथम उद्देशक *AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAwtarikkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkxxx पुव्विं आलोइयं, पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं, अपलिउंचिए अपलिउंचियं, अपलिउंचिए पलिउंचियं, पलिउंचिए अपलिउंचियं, पलिउंचिए पलिउंचियं आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्ठवणाए पट्टविए णिव्विसमाणे पडिसेवेइ से विकसिणे तत्थेव आरुहेयब्वे सिया॥१९॥ . जे भिक्खू बहुसो वि चाउम्मासियं वा बहुसो वि साइरेगचाउम्मासियं वा बहुसो वि पंचमासियं वा बहुसो वि साइरेगपंचमासियं वा एएसिं परिहारट्ठाणाणं अण्णयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, पलिउंचिय आलोएमाणे ठवणिज्जं ठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियं, ठविए वि पडिसेवित्ता से विकसिणे तत्थेव आरुहेयव्वे सिया, पुब्विं पडिसेवियं, पुव्विं आलोइयं पुट्विं पडिसेवियं पच्छा आलोइयं, पच्छा पडिसेवियं पुट्विं आलोइयं, पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं, अपलिउंचिए अपलिउंचियं अपलिउंचिए पलिउंचियं, पलिउंचिए अपलिउंचियं, पलिउंचिए पलिउंचियं, आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्टवणाए पट्टविए णिव्विसमाणे पडिसेवेइ से वि कसिणे तत्थेव आरुहेयव्वे सिया॥२०॥
कठिन शब्दार्थ - परिहारट्ठाणं - परिहार स्थान - दोषात्मक स्थितियाँ, पडिसेवित्ता - प्रतिसेवन कर, आलोएज्जा - आलोचना करे, अपलिउंचिय - कुटिलता या कपट रहित, पलिउंचिय - कुटिलता या कपट सहित, दोमासियं - द्वैमासिक - दो महीनों का, तेमासियं - त्रैमासिक - तीन महीनों का, चाउम्मासियं - चातुर्मासिक - चार महीनों का, पंचमासियं - पंचमासिक - पांच महीनों का, छम्मासियं - षट्मासिक - छह महीनों का, बहुसो - बहुत बार - बार-बार, एएसिं -- इनका, अण्णयरं - अन्यतर - किसी एक का, साइरेग - सातिरेक - अधिक, ठवणिजं - स्थापनीय - स्थापित करे, ठवइत्ता - स्थापित करके, करणिजं - करणीय - करना चाहिए, वेयावडियं - वैयावृत्य, ठविए - स्थापित करे, वि - अपि - भी, कसिणे - कृत्स्न - समग्र, तत्थेव - उसी प्रकार या उसमें, आरुहेयव्वे - आरोहित करे - सम्मिलित करे, सिया - स्यात्, पुव्विं - पहले, पच्छा - पश्चात् - पीछे, सव्वमेयं - समस्त, सकयं - स्वकृत - अपने द्वारा किए हुए, साहणिय - संहृत कर - मिलाकर, एयाए - इसके साथ, पट्ठवणाए - प्रस्थापित करे - सम्मिलित करे, पट्टविए - प्रस्थापित कर - सम्मिलित कर, णिव्विसमाणे - संप्रविष्ट होता हुआ - अन्तिम प्रायश्चित्त - तप करता हुआ।
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