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________________ [24] ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ ... ३७-५४. कं० . , विषय . १३. स्वयं को उपशान्त करने का विधान : १४. विहार सम्बन्धी विधि-निषेध १५. वैराज्य एवं विरुद्धराज्य में पुनः-पुन: गमनागमन निषेध १६. भिक्षार्थ अनुप्रविष्ट साधु द्वारा वस्त्रादि लेने का विधिक्रम १७. रात्रि में भक्तपान निषेध एवं इतर अपवाद विधान १८. रात्रि में गमनागमन निषेध १९. विचारभूमि एवं विहार में रात्रि में अकेले गमनागमन का निषेध २०. आर्य क्षेत्रवर्ती देशों में विहरण का विधान बिइओ उद्देसओ-द्वितीय उद्देशक २१. थान्ययुक्त उपाश्रय में प्रवास विषयक कल्प-अकल्प २२. मद्ययुक्त स्थान में प्रवास करने का विधि-निषेध, प्रायश्चित्त २३. जलयुक्त उपाश्रय में रहने का विधि-निषेध २४. अग्नि या दीपक युक्त उपाश्रय में रहने का विधि-निषेध, प्रायश्चित्त २५. खाद्य सामग्रीयुक्त गृह में प्रवास का विधि-निषेध, प्रायश्चित्त २६. विश्रामगृह आदि में ठहराव का विधि-निषेध . २७. अनेक स्वामी युक्त गृह में शय्यातरकल्प २८. शय्यातर पिण्ड-ग्रहण विधि-निषेध २९. सागारिक के घर आगत तथा अन्यत्र प्रेषित आहार-ग्रहण विषयक विधि निषेध ३०. शय्यातर के आहारांश से युक्त भक्त-पान - ग्रहण का विधि-निषेध ३१. पूज्यजनों को समर्पित आहार को ग्रहण करने का विधि-निषेध . ३२. वस्त्रकल्प . ३३. पञ्चविध रजोहरण की कल्पनीयता तइओ उद्देसओ - तृतीय उद्देशक ३४. निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थिनियों को एक-दूसरे के उपाश्रय में अकरणीय क्रियाएँ ३५. चर्मग्रहणविषयक विधि-निषेध ३६. वस्त्र-ग्रहण संबंधी विधि-निषेध ३७. अवग्रहानन्तक और अवग्रहपट्टक धारण का विधि-निषेध ३८. साध्वी को बिना आज्ञा वस्त्र-ग्रहण-निषेध ५२ . ५५-७६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004177
Book TitleTrini Ched Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages538
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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