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________________ साधु साध्वियों के लिए गाँव आदि में प्रवास करने की कालमर्यादा ☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆ ग्रामों पर कई प्रकार के कर लागू थे। वह सर्वसामान्य स्थिति थी। इसलिए भाष्यकार ने नगर से प्रारंभ किया है। . ग्राम - अन्यत्र इस संबंध में उल्लेख प्राप्त होता है कि तब गांवों पर जागीरदार, मुखिया, चतुधुरिण - चौधरी इत्यादि से संबद्ध अनेक प्रकार के कर गाँववासियों पर लागू होते थे। क्योंकि गाँववासी मुख्यतः कृषिजीवी थे, अतः भूमिविषयक करों का उन पर सीधा प्रभाव होता था। २. नगर . "न करं यत्र तत्नगरम्" - इसकी यों व्युत्पत्ति की जाती है। जहाँ राजस्व आदि कर नहीं लगते उस बड़ी आबादी को नगर कहा जाता था। ३. खेड - जो आबादी मिट्टी के प्राकार या परकोटे से घिरी होती थी, उसे खेड कहा जाता था। ४. कर्बट - जो ग्राम से बड़ा हो तथा नगर से छोटा हो ऐसी बस्ती को कर्बट कहते है। अथवा कुनगर - शरारती, ठग और जालसाज लोगों की आबादी वाले कस्बे को कर्बट कहा . जाता था। ५. मडंब - जिसके चारों ओर ढाई-ढाई कोस तक अन्य गाँव न हों, ऐसी एकान्त में आबाद बस्ती। ६. पट्टण - इसके लिए संस्कृत साहित्य में पत्तन शब्द का प्रयोग हुआ है। पत्तन का अर्थ व्यापार बहुल नगर है। जल पत्तन और स्थल पत्तन के रूप में उसके दो भेद हैं। जहाँ जल मार्ग से माल आता-जाता है, वह जलपत्तन तथा सड़क के रास्ते (थल मार्ग द्वारा) व्यापार होता है, उसे थलपत्तन कहा जाता है। ७. आकर • आकर का अर्थ खान या खदान है। वहाँ कार्य करने वाले श्रमिकों की तत्समीपवर्ती बस्ती आकर कही जाती है। 6. द्रोणमुख • उस व्यापारिक केन्द्र या नगर को कहा जाता रहा है, जहाँ जलमार्ग और स्थलमार्ग दोनों रास्तों से माल आता हो। ९. निगम · वह व्यापारिक केन्द्र जहाँ क्रय-विक्रय करने वाले व्यापारियों का बहुलतया आवागमन रहता है। आज की भाषा में मण्डी से इसकी पहचान की जा सकती है। 90. आश्रम - जहाँ ताफ्स - तपस्वी रहते हों, तप आदि करते हों, उसे आश्रम कहा जाता था। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004177
Book TitleTrini Ched Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages538
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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