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साधु-साध्वियों का निदान-संकल्प
साधु-साध्वियों का निदान-संकल्प तत्थेगइयाणं णिग्गंथाणं णिग्गंथीण य सेणियं रायं चेल्लणं च देविं पासित्ताणं इमे एयारूवे अज्झथिए जाव संकप्पे समुप्पजित्था - अहो णं सेणिए राया महिड्डिए जाव महासुक्खे जे णं बहाए कयबलिकम्मे-कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए चेल्लणादेवीए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ, ण मे दिट्ठा देवा देवलोगंसि सक्खं खलु अयं देवे, जइ इमस्स सुचरियस्स तवणियमबंभचेरगुत्तिफलवित्तिविसेसे अत्थि तया वयमवि आगमेस्साणं इमाइं ताई उरालाई एयारूवाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणा विहरामो, से तं साहु॥१०॥ ___ अहो णं चेल्लणादेवी महिड्डिया जाव महासुक्खा जा णं ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्ता जाव सव्वालंकारविभूसिया सेणिएणं रण्णा सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरइ, ण मे दिवाओ देवीओ देवलोगंसि सक्खं खलु अयं देवी, जइ इमस्स सुचरियस्स तवणियम-संजमबंभचेरगुत्तिवासस्स कल्लाणे फलवित्तिविसेसे अस्थि तया वयमवि आगमिस्साणं इमाइं एयारूवाइं उरालाइं जाव विहरामो, से तं साहु(णी)॥११॥ ... अजो ! त्ति समणे भगवं महावीरे ते बहवे णिग्गंथा य णिग्गंथीओ य आमंतेत्ता एवं वयासी-"सेणियं रायं चेल्लणादेविं पासित्ता तुम्हाणं मणंसि इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था - अहोणं सेणिए राया महिड्एि जाव सेत्तं साहु, अहोणं चेल्लणादेवी महिड्डिया सुंदरा जाव सेत्तं साहु, से णूणं अज्जो! अढे समटे ?"हंता ! अत्थि॥१२॥
कठिन शब्दार्थ- तत्थेगइयाणं - वहाँ उपस्थित कुछेक साधु-साध्वियों में, पासित्ताणंदेखकर, एयारूवे - इस प्रकार का, अज्झत्थिए - अध्यवसाय - मानसिक उद्वेलन, संकप्पेसंकल्प, समुष्पग्जित्था - समुत्पन्न हुआ, महिड्डिए - महान् ऋद्धि - ऐश्वर्य युक्त, महासुक्खेमहान् सुख - सुखोपभोगमय जीवन जीने वाला, उरालाई - उत्तम (उदार), दिट्ठा - देखा, सक्खं - साक्षात्, जइ - यदि, इमस्स - इस; सुचरियस्स - सुंदर रूप में आचरित, आगमेस्साणं - भविष्यत् काल में, णूणं - निश्चय ही, हंता - हाँ, अस्थि - अस्ति - है।
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