SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 41
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन श्रमणी परम्परा : एक सर्वेक्षण प्रवर्तिनी श्री गुलाबकंवर जी, प्रवर्तिनी श्री सज्जनकंवर जी आदि लोक हृदय में प्रतिष्ठित विद्वान् साध्वियाँ श्रमणी संघ की निधि हैं। ज्ञानगच्छ में श्री नन्दकंवर जी एवं उनका श्रमणी समुदाय जो आज लगभग 450 की संख्या में विचरण कर रहा है, वह अपने उत्कृष्ट संयम एवं आगम ज्ञान के लिए श्रमणी संघ में एक अद्वितीय मिसाल है। ____ मारवाड़ परम्परा में श्री रघुनाथ जी, श्री जयमल जी, श्री कुशलो जी का श्रमणी समुदाय प्रमुख है। इन श्रमणियों का उल्लेख संवत् 1810 से आर्या केशर जी श्री चतरूजी श्री अमरू जी से प्राप्त होता है। संवत् 1851 में इस परम्परा की साध्वी श्री फतेहकंवर जी ने विशाल आगम-साहित्य की दो बार प्रतिलिपि की थी। श्री चौंथाजी ने कई साधु साध्वियों को आगमों में निष्णात बनाया था। श्री सरदारकुंवर जी के द्वारा कई हस्तियाँ संयम मार्ग पर आरूढ़ होकर जिनधर्म की पताका को फहराने वाली बनी। श्री जड़ावांजी श्री भूरसुन्दरी जी की उत्कृष्ट काव्य कला की विद्वानों ने भूरि भूरि प्रशंसा की है। श्री पन्नादेवी जी ने 'कागुंजी भैरूं नाका' पर होने वाले भीषण पशु संहार को बंद करवाया था। मरुधरा साध्वी प्रमुखा प्रवर्तिनी श्री उमरावकंवरजी 26 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004174
Book TitleJain Shramani Parampara Ek Sarvekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayshree Sadhvi
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year
Total Pages54
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy