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________________ निमोत्धुणं समणरस भगवओ महावीरस्सा। ||जय आत्मा। ॥जय आनंद।। जय ज्ञान।। जय देवेन्द्र।। आचार्य शिवमुनि मंगल संदेश परम विदुषी महासाध्वी श्री विजयश्री जी महाराज ने जिनशासन में महासतीवृंद का योगदान इस विषय पर शोध ग्रन्थ लिखा। महासतीजी का शोध-ग्रन्थ बड़ा ही प्रामाणिक ढंग से खोजपूर्ण एवं मौलिक है। वर्तमान युग में जैन धर्म में संतों के विषय पर तो ऐतिहासिक जानकारियाँ अत्यधिक मिलती है किन्तु नारी शक्ति के बारे में बहुत ही कम जानकारी प्राप्त होती है। ऐसे में महासतीजी ने गहन शोध करके इस विषय पर अपना मौलिक चिन्तन रखा है। इनका यह शोध ग्रन्थ जिनशासन की प्रभावना और महिमा बढ़ाने में सहयोगी बने, ऐसी हम मंगल कामना करते हैं। वीतराग-मार्ग में चारों तीर्थों का समान महत्व है जिसमें नारी शक्तिका महत्वपूर्ण योगदान है। समय-समय पर जिनशासन में ऐसी महान् नारियाँ हुई है जिनके उल्लेख के बिना For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.004174
Book TitleJain Shramani Parampara Ek Sarvekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayshree Sadhvi
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year
Total Pages54
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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