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जैन श्रमणी परम्परा : एक सर्वेक्षण प्रवर्तिनी श्री केसरदेवी जी, प्रभाव-सम्पन्ना श्री कैलाशवती जी, व्यवहार कुशल श्री पवनकुमारी जी, शासन प्रभाविका श्री शशिकान्ता जी आदि पंजाब की इन विशिष्ट साध्वियों ने समाज व देश के उत्थान में जो सक्रिय कार्य किये वे स्वर्णाक्षरों में अंकित करने योग्य हैं। इन सबका वैदुष्य से भरपूर शिष्या परिवार भी इन्हीं के लक्ष्य कदमों पर चल रहा है।
आचार्य धर्मसिंह जी महाराज के क्रियोद्धार का समय विक्रमी संवत् 1685 है। इनकी समूची परम्परा आठ कोटि दरियापुरी सम्प्रदाय के नाम से प्रसिद्ध है। यद्यपि यह परम्परा एक क्षीणतोया नदी की धारा के समान गुजरात में ही प्रवाहित है किन्तु इस संघ की उल्लेखनीय विशेषता है कि आज 386 वर्षों की सुदीर्घ अवधि के पश्चात् भी एक आचार्य के नेतृत्व में गतिशील है। इस सम्प्रदाय की साध्वियों के उल्लेख संवत् 1961 से प्राप्त होते हैं। संवत् 1961 में नाथीबाई आगमज्ञाता मारणान्तिक उपसर्गों में भी समताभाव रखने वाली साध्वी हुई थी। इन्होंने समाज में धर्म के नाम पर चल रहे अनेक आडम्बरों को दूर करवाया। सूर्यमंडल की अग्रणी श्री केसरबाई भद्र प्रकृति की समतावार निर्मल हृदया साध्वी थी। श्री ताराबाई सरल,
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