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4. पाइयकम्पम्मि [(पाइय)-(कव्व)7/1 ] । रसो (रस) 1/11 को (ज)
1/1 सवि । जायइ (जा) व 3/1 प्रक। तह य (म) = उसी तरह ही। चेयमणिएहिं [(छेय)-(भण) भूक 3/2] । उययस्स(उयय) 6/1। य (प्र)=तथा । वासियसीयलस्स [(वास) भूक-(सीयल) 6/1 वि] । तित्ति (तित्ति) 2/1। न (म)=नहीं। बच्चामो (वच्च) व 1/2 सक। 1. कभी कभी पंचमी विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग
पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-136). 2. 'जा' (उत्पन्न होना) के योग में पंचमी या सप्तसी विभक्ति का
प्रयोग होता है । 'जा' से 'जायइ' बनाने के लिए 'म' (य) विकल्प
से जोड़ दिया जाता है। 3. कभी कभी षष्ठी विभक्ति का प्रयोग तृतीया या पंचमी विभक्तिके
स्थान पर पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-134) 5. पाइयकबस्स' [(पाइय)-(कन्व) 4/1] | नमो' (म)=नमस्कार ।
पाइयकर्ष [(पाइय)-(कव्व) 1/1] । च (म)= तथा। निम्मियं (निम्म) भूक 1/1 | बेग (ज) 3/1 सवि । ताह' (त) 4/2 अपभ्रंश । चिय (म)=भी। पणमामो' (पणम) 1/2 सक । पडिऊण (पढ) संक। य (म)=तथा । (ज) 1/2 सवि । वि (म)=भी। जागति (जाण) व 3/2 सक।
1. 'नमो' (नमस्कार अर्थ) के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है। 6. सुयणो (सुयण) 1/1। सुखसहाबो [(सुद्ध) वि-(सहाव) 1/1] ।
महलिवतो (मइल) कर्मवक 1/1। वि (म) = भी। दुज्जननण [(दुज्जण)-(जण) 3/1] । चारेण (धार) 3/1 । बप्पणो (दप्पण) 1/1। विय (म) = जैसे। पहियपरं (महिययर) 1/1 तुवि । निम्मलो
(निम्मल) 1/1 वि । होइ (हो) व 3/1 मक। 7. सुपलो (सुयण) 1/1 । न (म)= नहीं । कुप्पइ (कुप्प) व 3/1 सक ।
च्चिय (म)=भी । अह (म) = यदि । मंगुलं (मंगुल) 2/1 । चितेह
जीवन-मूल्य ]
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