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व्याकरणिक विश्लेषरण से व्याकरण के साथ-साथ शब्दों के प्रयोग सीखने में मदद मिलेगी । शब्दों की व्याकरण और उनका अर्थपूर्ण प्रयोग दोनों ही भाषा सीखने के प्राधार होते हैं । अनुवाद एवं व्याकरणिक विश्लेषण जैसा भी बन पाया है पाठकों के समक्ष है । पाठकों के सुझाव मेरे बहुत ही काम के होंगे ।
प्राभार :
वज्जालग्ग में जीवन-मूल्य के लिए प्रो. एम. वी. पटवर्धन द्वारा सम्पादित वज्जालग्ग के संस्करण का उपयोग किया गया है । इसके लिए प्रो. पटवर्धन के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ । 'वज्जालग्ग' का यह संस्कररण प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, अहमदाबाद से सन् 1969 में प्रकाशित हुआ है ।
दीन-दुखियों की सेवा में तत्पर श्री देवेन्द्रराजजी मेहता (सचिव, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर) ने इस पुस्तक का प्राक्कथन लिखने की स्वीकृति प्रदान की, इसके लिए मैं उनका हृदय से कृतज्ञ हूँ ।
मेरे विद्यार्थी डा. श्यामराव व्यास, सहायक प्रोफेसर, दर्शनविभाग, उदयपुर विश्वविद्यालय, उदयपुर का आभारी हूँ, जिन्होंने इस पुस्तक के अनुवाद एवं इसकी प्रस्तावना को पढ़कर उपयोगी सुझाव दिए ।
मेरी धर्मपत्नी श्रीमती कमलादेवी सोगारणी ने इस पुस्तक की गाथाओं का मूल ग्रंथ से सहर्ष मिलान किया है । अतः मैं उनका आभार प्रकट करता हूँ ।
इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए प्राकृत भारती अकादमी,
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