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(प्र) = किन्तु किविण-सिरी [(किविण)-(सिरी) 1/1] गया (गया) भूकृ 1/1 अनि प्र (प्र)- यदि मूलं (मूल) 1/1 च (अ)-ही पम्हुसिनं (पम्हुस) भूक 1/1
60.
किविणाण (किविण) 6/2 अण्ण-विसए [(अण्ण) वि-(विसम) 7/1] दाण-गुणे [(दाण)-(गुण) 2/2] अहिसलाहमाणाण (अहिसलाह) वक 6/2 णिअ-चाए [(णिप्र) वि-(चाप) 7/1] उच्छाहो (उच्छाह) 1/1 ग (अ) = नहीं णाम (प्र) आश्चर्य कह (प्र)- कैसे बा (प्र)-और लज्जा (लज्जा ) 1/1 वि (प्र) = भी
61.
परमत्य-पाविन-गुणा [ (परमत्थ)-(पावित्र) भूकृ-(गुण) 1/2 ] गरुनं (गरुमा) 2/1 वि पि (प्र) = भी हु (प्र)- चूंकि पलहुयं (पलहुअ) 1/1 वि व (प्र) = की तरह मण्णंति (मण्ण) व 3/2 सक तेण (अ) = इसलिए सिरीए (सिरी) 6/1 विरोहो (विरोह) 1/1 गुणेहिं (गुण) 3/2 गिक्कारणं (क्रिवित्र)- बिना कारण ण (अ)नही उण (म)- वास्तव में 'परमत्थ' का प्रयोग समास पद में वास्तविक अर्थ प्रकट करता है।
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भुममा-भंगारपत्ता [ (मुममा) + (मंग) + (प्राणता) ] [ (भुममा)(मंग)-(प्राणत्ता) 1/1 वि] वि (अ) = भी सुरिस (सुवुरिस) 2/15 (म)=चूकि ण (प्र)=नहीं तुरिअमल्लिाइ [(तुरिअं) + (अल्लिाइ)] तुरिनं (प्र) = शीघ्रता से अल्लिइ (अल्लिम) व
3/1 सक तं (म) = उस कारण से मण्णे (प्र)-विमर्श सूचक लोकानुभूति ...
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