________________
क्र.सं. सूत्र - संख्या
(1)
(2)
32.
33.
34.
35.
36.
37.
(88)
5/32
5/33
5/34
5/35
5/36
5/37
Jain Education International
सूत्र
(3)
मातुरात् {(मातुः)+(आत्)}
उर्जस्-शस्-टा-ङस्-सुप्सु वा {(उः)+(जस्)}
पितृभ्रातृजामातॄणामरः {(पितृ)-(भ्रातृ)-(जामातृणाम्) + (अरः)}
आच सौ
राज्ञः
आमन्त्रणे वा बिन्दुः
सन्धि-नियम
(4)
वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1 )
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org