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प्रथमा
बहू (ऊकारान्त स्त्रीलिंग) एकवचन
बहुवचन बहू (5/18)* बहूउ, बहूओ (5/20)
बहू (6/60, 5/2) द्वितीया बहुं (5/21, 6/60, 5/3) बहूउ, बहूओ (5/19) तृतीया बहूअ, बहूआ, बहूइ, बहूहिं (6/60, 5/5)
बहूए (5/22) चतुर्थी व बहूअ, बहूआ, बहूइ, बहूए, बहूण (6/60, 5/4) षष्ठी (5/22) पंचमी बहूदो, बहूदु, बहूहि बहूहिन्तो, बहूसुन्तो
(6/60, 5/6, 6/61) (6/60, 5/7) .. सप्तमी ___बहूअ, बहूआ, बहूइ, बहूसु (6/60, 5/10)
बहूए (5/22) संबोधन हे बहु (5/29) हे बहूउ, हे बहूओ, हे. बहू (9/18) * सुबोधिनी टीका के आधार पर।
प्रथमा
पिअर : पिता (अकारान्त की तरह रूप) . एकवचन
बहुवचन पिआ (5/35),
पिअरा (5/34, 5/2,5/11) पिअरो (5/34, 5/1) द्वितीया पिअरं (5/34, 5/3) . पिअरा (5/34, 5/2, 5/11)
पिअरे (5/34, 5/12) तृतीया पिअरेण (5/34, 5/4, 5/12) पिअरेहिं (5/34, 5/5, 5/12) चतुर्थी व पिअरस्स (5/34, 5/8) पिअराण (5/34, 5/4, 5/11) षष्ठी पंचमी पिअरा, पिअरादो, पिअरादु, पिअरेहिन्तो, पिअरेसुन्तो,
पिअराहि (5/34, 5/6, 5/11) पिअराहिन्तो, पिअरासुन्तो
पिअर (5/34, 5/13) (5/34, 5/7, 5/12) सप्तमी पिअरे, पिअरम्मि (5/34,5/9) पिअरेसु (5/34, 5/10, 5/12)
पिअर (5/34, 5/13) संबोधन हे पिअर (5/27) हे पिअरा (9/18)
(56)
वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1)
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