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(हरि + टा) (गामणी + टा) (साहु + टा) (सयंभू + टा)
- (हरि + णा) : हरिणा (तृतीया एकवचन) - (गामणी + णा) : गामणीणा (तृतीया एकवचन)
(साहु + णा) : साहुणा (तृतीया एकवचन) : (सयंभू + णा) : सयंभूणा (तृतीया एकवचन)
18.
सुभिस्सुप्सु दीर्घः 5/18 सुभिस्सुप्सु दीर्घः { (सु) – (भिस्) - (सुप्) 7/3 } दीर्घः (दीर्घ) 1/1 सु, भिस्, सुप् परे होने पर 'दीर्घ' ( होता है )। इकारान्त और उकारान्त पुल्लिंग शब्दों में सु ( प्रथमा एकवचन का प्रत्यय), भिस् (तृतीया बहुवचन का प्रत्यय) और सुप् (सप्तमी बहुवचन का प्रत्यय) परे होने पर अन्त्य इ और उ को 'दीर्घ' होता है। (और दीर्घ दीर्घ ही रहता है) (हरि + सु) हरी (प्रथमा एकवचन) (सु का लोप होगा) (साहु + सु) साहू (प्रथमा एकवचन) (सु का लोप होगा) (हरि + भिस्) : हरीहिं (तृतीया बहुवचन) (साहु + भिस्) : साहहिं (तृतीया बहुवचन) (सूत्र 6/60 और 5/5 से भिस् - हिं होगा) (हरि + सुप्) हरीसु (सप्तमी बहुवचन) (साहु + सुप्) . : साहूसु (सप्तमी बहुवचन) .(सूत्र 6/60 और 5/10 से सुप् - सु होगा)
1. मनोरमा टीका के आधार पर नोट - सुबोधिनी टीका के आधार पर इकारान्त और उकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में भी
इन्हीं प्रत्ययों का प्रयोग होगा। गामणी और सयंभू के रूप इसी सूत्र के - आधार से बना लेने चाहिये।
19.
स्त्रियां शस उदोतो 5/19 स्त्रियां शस उदोती. { (स्त्रियाम्) + (शसः) + (उत्) + (ओतौ)} स्त्रियाम् (स्त्री) 7/1 शसः (शस्) 6/1 { (उत्) - (ओत्) 1/2 } स्त्रीलिंग में शस् के स्थान पर उत्→ 'उ' और ओत्→'ओ' (होते हैं)। स्त्रीलिंग शब्दों में शस् (द्वितीया बहुवचन के प्रत्यय) के स्थान पर उत्→'उ' और ओत्->ओ' (होते हैं)।
वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1)
(15)
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