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________________ 80 सेमबहो [(जीव)-(वह) 1/1] । अपवहो [ (अप्प)-(वह) 1/1] । जीवदया [ (जीव)-(दया) 1/1] । अप्पणो (अप्पण) 4/1। क्या (दया) 1/1 होइ (हो) व 3/1 मक । ता (प्र) = उस कारण से । सम्वजीवहिंसा [ (सव्व) सवि - (जीव)-हिंसा) 1/1] । परिचत्ता (परिचत्ता) 1/1 भूक अनि । अत्राकामेहि (अत्तकाम) 3/2 वि ।। 81 तुमं (तुम्ह) 1/1 स । सि (प्रस) व 2/1 प्रक। नाम (प्र)= निस्सन्देह । स (त) 1/1 सवि। चेव (म) = ही। कं (ज) 2/1। हंतव्वं (हंतव्व) विधिकृ 1/1 मनि भाववाच्य । ति (म)=देख । मन्त्रसि (मन्न) व 2/1 सक । प्रज्जावे पव्वं (अज्जाव) विधिक 1/1 भाववाच्य । 82 रागावीणमणुप्पाओ [ (राग)+(आदीणं)+ (अणुप्पाम्रो) ] [ (राग) (आदि) 6/2] अणुप्पामो (अणुप्पाम) 1/1 वि । अहिंसकरी (अहिंसकत्त) 1/1 । ति (प्र) = इस प्रकार । देसियं (देस) भूकृ 1/1। समए (सम अ) 7/1। तेसि (त) 6/2 स । चे (म)= यदि । उपपत्ती (उप्पत्ति) 1/1 । हिंसेत्ति [ (हिंसा)+(इत्ति)] हिंसा (हिंसा) 1/1 इत्ति (अ)= निश्चय ही। जिलेहि (जिण) 3/2 । णिहिट्ठा (णिद्दिवा) भूक 1/1 । 83 अज्मवसिएण (अज्झवसिम) 3/1। बंबो (बंध) 1/1। ससे (सत्त) 2/2 मारेज्ज* (मार) विधि 2/1 सक । मा (प्र)=नहीं। थ (म)= और भी । एसो (एत) 1/1 स । बंधसमासो [ (बंध)-(समास) 1/1]। जीवाणं । (जीव).6/21 पिच्छयमयस्स (रिणच्छयणय) 6/11 *"ज्ज' प्रत्यय के लग पर प्रकारान्त धातुनों के अन्त्यस्थ 'प्र' के स्थान पर 'ए' हो जाता है (हेम प्राकृत व्याकरण : 3-159, 3-177)। 84 मत्ता (अत्त) 1/! | चेन (अ)=ही । अहिंसा (अहिंसा) 1/1 | हिंसेति - [ (हिंसा)+(इति) ] हिंसा (हिंसा) 1/1 इति (अ)=ही। नियमो (णि च्छ अ) 1/1 । समए (समम) 7/1। जो (ज) 1/1 सवि । होदि चयनिका ] [ 125 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org onal
SR No.004166
Book TitleSamansuttam Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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