________________
'पउमचरिउ' अपभ्रंश भाषा में रचित रामकथा है। इसमें स्वयंभू ने लोक प्रचलित शब्दों का प्रयोग बड़े ही सुंदर ढंग से किया है। प्रस्तुत पुस्तक में पउमचरिउ में प्रयुक्त क्रियाओं को एकत्र कर उनके हिन्दी अर्थ दिये गए हैं। प्रत्येक क्रिया के नीचे संदर्भ सहित जितने रूपों में वह क्रिया प्रयुक्त हुई है उसे बताया गया है। स्वयंभू ने सहज एवं सरल क्रियाओं का प्रयोग तो किया ही है साथ ही समानार्थक क्रियाओं का प्रयोग भी किया है। प्रस्तुत पुस्तक में समानार्थक क्रियाओं को भी एकत्र किया गया है। अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू के "पउमचरिउ का क्रिया-कोश' पुस्तक अपभ्रंश की क्रियाओं को जानने एवं समझने में सहायक होगी तथा कुछ अंश में अपभ्रंश साहित्य को भी समझने में सहायता मिलेगी।
- पुस्तक प्रकाशन में अपभ्रंश साहित्य अकादमी के विद्वानों विशेषतया श्रीमती शशि प्रभा जैन के आभारी हैं जिन्होंने अपभ्रंश महाकवि स्वयंभू के 'पउमचरिउ का क्रिया-कोश' बडे परिश्रम से तैयार किया है। अतः वे हमारी बधाई की पात्र हैं। ... पृष्ठ संयोजन के लिए फ्रेण्ड्स कम्प्यूटर्स एवं मुद्रण के लिए जयपुर प्रिन्टर्स धन्यावादाह हैं।
जस्टिस नगेन्द्र कुमार जैन प्रकाशचन्द जैन डॉ.कमलचन्द सोगाणी अध्यक्ष
मंत्री
संयोजक प्रबन्धकारिणी कमेटी जैनविद्या संस्थान समिति दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र
जयपुर श्री महावीरजी
तीर्थकर धर्मनाथ ज्ञान कल्याणक दिवस पौष शुक्ला पूर्णिमा वीर निर्वाण संवत् 2538 9 जनवरी 2012
(vi)
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org