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________________ ५३ महता रायचंद १ महंता रतन २ महता रीठमल ३ महता रूपचन्द ४ एवं खत्री थे, पचीस घर का सिरदार । वासी राजपुर का, उहां के महतो चौधरी थे। प्रतबोधी श्रावक जैनी किया । जाति महतीयाण थाप्या, गोत रोहदीया थाप्यउ ||४|| महता करमचन्द १ कान्हचंद २ घर पचीस का सिरदार थे । वासी काण्योड़ के थे । उहां का कानुंगो थे । जाति क्षत्री, प्रतिबोधी श्रावक कीया - जइनी कीया जाति महतीयाण थाप्या । गोत कांडे थाप्यो ॥५॥ खत्री परिवार घर वीस नारनौल का वासी महता नेतसी गोत नान्हडे थाप्यो ॥६॥ खत्री परिवार घर १५ महम का वासी । महता मनजी गोत्र मुंडतडे थाप्यो ॥७॥ खत्री परिवार घर १५, माधरपुर का वासी महता माणिकचन्द, गोत मीनयानी थाप्यो ||८|| खत्री कान्हचंद परिवार - घर १० करनाल के वासी, गोत काण्यें ॥६॥ .......... परिवार घर १०, वासी पाणीपथ का, गोत पहाड़िये ॥१०॥ खत्री मयाराम परिवार घर.... गोत महथे थाप्यो ||११|| खत्री गिरधरदास परिवार घर २०, वासी घांघ का, गोत घं...... ॥ १२ ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004163
Book TitleJainacharya Pratibodhit Gotra evam Jatiyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherJinharisagarsuri Gyan Bhandar
Publication Year
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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