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स. १७५७ भा० सु० १० भौम सा० संघजी पु० मलूकचन्द गृहे पुत्र (नाम भूधरदास) जन्म
स. १६९७ (चैत्रादि) ज्येष्ठ वदि १० भूमवारे संखवाल नथमलगृहे पुत्रजन्म (झांझण जन्मनाम )
स० १७३४ साह सिंघराज कस्य ३८ वर्ष प्रवेश वै० सुदी १४ (६) भणशाली गोत्र-प्रतिबोध और थाहरूशाह वंशावली उ० जयचन्द्रजी गणि के पास प्राचीन संग्रह से प्राप्त
सम्बत् १०९१ श्री लौद्रवपुर पट्टण माहै यादवकुल भाट्टी गोत्र श्री सागर नामै रावल राज करै तेहनै श्रीमती नामै राणी है तेहनै ११ पुत्र हुवा । मृगीरै उपद्रव सू ८ मरण पाम्या । तिण अवसरै श्री खरतर गच्छ मांहे श्री वर्द्धमानसूरि आचार्य शिष्य श्री जिनेश्वरसूरि विहार करता श्री लोद्रपुर आया । तिवारै सागर रावल श्रीमती राणी प्रमुख वांदण नै आया । वन्दना कर हाथ जोड़ राजा वीनती करी स्वामी माहरै ८ पुत्र मृगी रा उपद्रव मुं मरण पाम्या हिवै पुत्र हैं सो कृपा कर जीवता रहै तिम करौ । तिवारै श्री जिनेश्वरसूरि बोल्या, सुण राजा थारा पुत्र जीवंता रहै जिणमें म्हानै किसौ लाभ ? जो तीन पुत्र मांहि सुं १ ने राज दौ २ दौय पुत्र म्हारा श्रावक हुवै तो म्हे रिख्या करां, तिवारै कुलधर नै राज्य दीयौ श्रीधर नै १ राजधर नै २ श्री जिनेश्वरसूरि वासक्षेप को श्रावक कर्या तिवारै श्रीधर १ नै राजधर २ नं १ श्री पार्श्वनाथजीरा देहरा कराया श्री जिनेश्वरसूरिजी घणौ द्रव्य खरचायौ प्रतिष्ठा करी भण्डार री साल मांहे वासक्षेप को इण वास्तै भण्डसाली
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