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( संपद ) 2 / 1. देवीम् (देवी) 21 वि. अभिजातस्य (प्रभि - जन्' + अभिजात) भूकृ 6 / 1. भारत ( भारत ) 8 / 1.
163. दम्भो वर्षोऽतिमानश्च [ ( दम्भः) + (दर्पः) + (प्रतिमान:) +(च)] दम्भ: ( दम्भ ) 1/1. दर्प (दर्प) 1 / 1. प्रतिमान: ( प्रतिमान) 1 / 1. च (प्र) = श्रौर. क्रोध: (क्रोध) 1/1 पारुष्यमेव च [ ( पारुष्यम्) + ( एव च ) ] पारुष्यम् ( पारुष्य ) 1 / 1. एष च (प्र) = और. प्रज्ञानं चाभिजातस्य: [ (अज्ञानम्) + (च) + (अभिजातस्य ) ] अज्ञानम् (अज्ञान) 1 / 1. च ( प्र ) = तथा अभिजातस्य ( अभि-जन् प्रभिजात) भूकृ 6 / 1. पार्थ (पार्थ) 8/1 संपदमासुरीम् [ ( संपदम्) + (प्रासुरीम् ) ] संपदम् (संपद्) 2/1. ग्रासुरीम् (आसुरी ) 2 / 1 वि.
→
164. देवी (देवी) 1/1 वि संपद्विमोक्षाय [ ( संपद्) + (विमोक्षाय ) ] संपद् ( संपद) 1 / 1. विमोक्षाय (विमोक्ष) 4 / 1. निबन्धायासुरी [ ( निबन्धाय) + (प्रासुरी ) ] निबन्धाय (निबन्ध) 4 / 1. प्रासुरी (प्रासुरी) 1/1 वि. स्त्री
मता ( मन्मत→ मता ) मूकृ 1 / 1. मा ( प्र ) = मत ( प्र ) शुचः (शुच्3) मू 2/1 अक संपदं देवीमभिजातोऽसि [ ( संपदम् ) + (दैवीम् ) + (अभिजातः) + (असि ) ] संपदम् (संपद ) 2 / 1. दैवीम् (देवी) 2 / 1 वि. अभिजात : (अभि-जन् + अभिजात) भूकृ 1 / 1. असि (प्रस्) व 3/1 अक. पाण्डव ( पाण्डव) 8 / 1
1. अकर्मक धातुएं उपसर्ग लगने से प्रायः प्रर्थानुसार सकर्मक हो जाती हैं और उनके साथ कर्म का प्रयोग होता है ।
2. देखें श्लोक 162.
3.
' मा लुङ् (सामान्य भूत) लकार की क्रिया के साथ प्रयुक्त होता है, तब ग्रागम प्र का लोप हो जाता है, किन्तु अर्थ विधि का होता है ।
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