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________________ + (तम्) + (परम्) + (पुरुषम्) + (उपति ) ] सः (तत्) 1 / 1 सवि. तम् (तत्) 2 / 1 सवि परम् (पर) 2 / 1 वि. पुरुषम् (पुरुष) 2 / 1. उपैति (उप-ई) व 3 / 1 सक. दिव्यम् ( दिव्य ) 2 / 1. 105. सर्वद्वाराणि [ (सर्व) वि- ( द्वार) 2/3] संयम्य (संयम् ) पूकृ. मनो हृदि [ ( मन:) + (हृदि ) ] मन: (मनस् ) 2 / 1. हृदि (हृद् ) 7 / 1. निरुध्य ( नि-रुघ्) पूकृ च ( अ ) = श्रौर सूर्याधायात्मनः [ ( मूर्ध्नि) + ( प्राधाय ) + ( श्रात्मन:)] मूर्ध्नि (मूर्धन् ) 7 / 1 प्राधाय ( श्रा - घा) पूकृ. आत्मन: (आत्मन् ) 6 / 1. प्रारण मास्थितो योगधारणाम् [ ( प्रारणम्) - ( प्रास्थितः ) + ( योगधाररणाम् )] प्राणम् ( प्रारण ) 2 / 1. अस्थितः (आस्था प्रास्थित ) भूकृ 1 / 1. योगधारणाम् [ (योग) - ( धारणा ) 2/1] 106. श्रोमित्येकाक्षरं ब्रह्म [ ( श्रोम्) + (इति) + (एकाक्षरम्) + (ब्रह्म) ] ओम् (श्र) = प्रोम्. इंति ( प्र ) - शब्दस्वरूपद्योतक. एकाक्षरम् (एका क्षर) 2 / 1 बि. ब्रह्म (ब्रह्मन्) 2 / 1. व्याहरन्मामनुस्मरन् [ ( व्याहरन् ) + (माम्) + (अनुस्मरन ) ] व्याहरन् (व्या - हृ + व्याहरत् ) वकु 1 / 1. माम् (प्रस्मद् ) 2 / 1 ग्रनुस्मरन् (अनुस्मृ मनुस्मरत्) वकृ 1 / 1 य (यत्) 1 / 1 सवि प्रयाति (प्र-या) व 3 / 1 सक - त्यजन्देहं स याति (त्यज्+त्यजत् ) त्यजन् | (स्वजन्) + (देहम्) + (सः) + (याति ) ] बकृ 1 / 1. देहम् (देह) 2 / 1. सः (तत्) 1 / 1 सवि. याति (या) ब स्त्री 3 / 1 सक. परमां गतिम् [ ( परमाम्) + (गतिम् ) ] परमाम् (परम → परमा) 2 / 1 वि. गतिम् (गति) 2 / 1. 107. मामुपेत्य [ (माम्) + (उपेत्य ) ] माम् (ग्रस्मद् ) 2 / 1 स. उपेत्य (उपइ→उप-इत्य→उपेत्य) पूकृ. पुनर्जन्म (पुनर्जन्मन् ) 21 दुःखालयम चयनिका Jain Education International For Personal & Private Use Only 103 ] www.jainelibrary.org
SR No.004162
Book TitleGeeta Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages178
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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