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1/1 । होई1 (हो) व 3/1 अक इय (अ) = इस तरह । गाऊण (णा) संकृ । सदग्वे [(स)वि-(दव्व) 7/1] । कुनह (कुरण) विधि 2/2 सक। रई (रइ) 2/1 अपभ्रंश । विरय (विरय) 2/1 अपभ्रंश । इयरम्मि' (इयर) 7/1 वि।
1. छन्द की मात्रा की पूर्ति हेतु 'इ' को 'ई' किया गया है। 2. कभी-कभी पंचमी विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का
प्रयोग पाया जाता है । (हेम प्राकृत व्याकरण : 3-136)। 66 आवसहावा [(आद)-(सहाव) 5/1] अण्णं (अण्णं) 1/1 सवि ।
सच्चित्ताचित्तमिस्सियं [ (सच्चित्त) + (अचित्तं) + (मिस्सियं)] [(सच्चित्त)-(अचित्त) 1/1 वि] मिस्सियं (मिस्सिय) 1/1 वि । हवइ (हव) व 3/1 अक । तं (त),1/1] सवि । परवव्वं [(पर) वि(दव्व) 1/1] भणियं (भरण) भूक 1/1 । आवितस्थं (क्रिविन)=
सच्चाई पूर्वक । सव्वदरसोहिं (सव्वदरसि) 3/2 वि.। . 67 बुदृढकम्मरहियं [(दुट्ठ) + (अट्ठ) + (कम्म) + (रहियं)] [(दुट्ठ)
वि-(अट्ठ) वि--(कम्म)-(रहिय) 2/1 वि.] । अणोवमं (अणोवम) (प्रणोवम) 2/1. वि. । णाणविग्गह' [(णाण)-(विग्गह) 2/1] । पिच्चं(रिगच्च) 2/1 वि. । सुर (सुद्ध) 2/1 वि, । जिलेहि (जिरण) 3/2 कहियं (कह) भूक 2/11 अप्पाणं (अप्पाण) 2/1 । हवदि (हव) व 3/1 अक । सद्दव्वं [(स)-(हव्व) 1/1] । 3: कभी-कभी प्रथमा विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का
प्रयोग पाया जाता है । (हेम प्राकृत व्याकरण : 3-137 वृत्ति)। 68 जे (ज) 1/2 सवि । झायंति (झा) व 3/2 सक । सदव्वं [(स)वि
(दव्व) 2/1] । परदण्वपरंमुहा [(पर) वि-(दव्व)-(परंमुह) 1/2 वि] । हु (अ) = निश्चय ही । सुचरित्ता [(सु) = सम्यक् प्रकार से-(चर) 4. अकारान्त धातुओं के अतिरिक्त अन्य स्वरान्त धातुओं में विकल्प
से अ (य) जोड़ने के पश्चात् प्रत्यय जोड़ा जाता है ।
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[ अष्टपाहुड
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