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________________ सक संकेत-सूची (अ) = अव्यय (इसका अर्थ मूक = भूतकालिक कृदन्त = लगाकर लिखा व = वर्तमानकाल ___ गया हैं) = वर्तमान कृदन्त अक = अकर्मक क्रिया वि = विशेषण अनि = अनियमित विधि = विधि आज्ञा . . - प्राज्ञा विधिक ___= विधि कृदन्त कर्म = कर्मवाच्य = सर्वनाम = सम्बन्ध भूत कृदन्त (क्रिविअ) = क्रिया विशेषण = सकर्मक क्रिया . अव्यय (इसका सवि = सर्वनाम विशेषण अर्थ लगाकर । स्त्री = स्त्रीलिंग लिखा गया है) हेक = हेत्वर्थ कृदन्त ( ) = इस प्रकार के कोष्टक में मूल = तुलनात्मक विशेषण शब्द रक्खा गया पु = पुल्लिग = प्रेरणार्थक क्रिया [( )+( )+( ).......] = भविष्य कृदन्त इस प्रकार के कोष्टक के अन्दर + __= भविष्यत्काल चिह्न किन्हीं शब्दों में संधि का द्योतक भाव = भाववाच्य है। यहां अन्दर के कोष्टकों में गाथा भू . = भूतकाल के शब्द ही रख दिये गये हैं। 36 ] [ अष्टपाहुड Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004161
Book TitleAshtapahud Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1998
Total Pages106
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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