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अत्थो खलु दव्वमओ दव्वाणि गुणप्पगाणि भणिदाणि। तेहिं पुणो पज्जाया पज्जयमूढा हि परसमया।।
पदार्थ
अत्थो खलु दव्वमओ दव्वाणि गुणप्पगाणि भणिदाणि तेहिं
(अत्थ) 1/1 अव्यय
निश्चय ही (दव्वमअ) 1/1 वि द्रव्यस्वरूप (दव्व) 1/2
द्रव्य (गुणप्पग) 1/2 वि गुणात्मक (भण-भणिद) भूकृ 1/2 कहे गये (त) 3/2 सवि
उनसे युक्त अव्यय (पज्जाय) 1/2
पर्यायें [(पज्जाय-पज्जय)-(मूढ) पर्यायों से मोहित भूक 1/2 अनि अव्यय
किन्तु (परसमय) 1/2 वि
इतर दृष्टिवाले
पुणो
फिर
पज्जाया
पज्जयमूढा
परसमया
___अन्वय- अत्थो खलु दव्वमओ दव्वाणि गुणप्पगाणि भणिदाणि पुणो तेहिं पज्जाया हि पज्जयमूढा परसमया।
अर्थ- (ज्ञेय) पदार्थ निश्चय ही द्रव्यस्वरूप (होता है)। द्रव्य गुणात्मक कहे गये (हैं)। फिर उन (गुणात्मक द्रव्यों) से युक्त पर्यायें (होती है) किन्तु (उन) पर्यायों से मोहित (व्यक्ति) इतर (जिनभिन्न) दृष्टिवाले (कहे गये हैं)।
प्रवचनसार (खण्ड-2)
(15)
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