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सव्वं सव्वत्थ सहावेण
अपने पूर्णरूप से सभी जगह स्वभावपूर्वक पूरी तरह से निश्चय ही
9, 17, 22, 28, 37, 39, 66, 74,91
पादपूरक
33, 38, 45, 51, 58 34, 61
इसलिए क्योंकि निश्चय ही
हु
(152)
प्रवचनसार (खण्ड-1).
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