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चित्त
जाणग
जोग्ग
जोण्ह
झसिय
णाणप्पग
णाणमय
णाणि
णादु
णारय.
णिच्च
णिम्मोह
यिद
विसेस
णेरड्य
तक्कालिग/
तक्कालिय
तित्थ
तिमिरहर
(140)
नाना प्रकार के
जाननेवाले
योग्य
दिव्य
डाला हुआ
ज्ञानस्वरूप
ज्ञानमय
ज्ञानी
तम्मय
उसमय/उसरूप
तिक्कालिग तीन काल संबंधी
तारने में समर्थ
अंधकार को
हटानेवाला
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ज्ञाता
नारकी
नित्य
चिरस्थायी
आसक्ति रहित
नियत
शेष रहित
नरक में उत्पन्न वर्तमानकाल संबंधी
51.
33, 35
55
51,88
30
2 8 8
89
26
28, 29, 50
0 2 2 0 8 2 2 5 5
42
72
50
51
90
43
32
12
37
47
8
48
1
67
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प्रवचनसार (खण्ड-1 )
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