________________
शब्द
अइसय
अक्खातीद
अचेदण
अच्वंत
अट्ट
अनंत
अणिट्ठ
अणिदिय
अणोवम
अण्णोण
अतीद
अदिंदिय
अधिक
अ-पदेस
अपार
अप्पग
अबंध
अभव्व
अमुत्त
अव्वुच्छिण्ण
(138)
Jain Education International
अर्थ
श्रेष्ठ
इन्द्रियातीत
चैतन्यरहित
अत्यन्त
पीड़ित
अनन्त
अनिष्ट
अतीन्द्रिय
अनुपम
परस्पर
परे
परे गया हुआ
अतीन्द्रिय
प्रचुर
प्रदेश रहित
अनन्त
निर्मित
अबंधक
विशेषण - कोश
अभव्य
अमूर्त
सतत
गा.सं.
2 2 2 2 2
13
25
12
71
13, 19, 49, 59
61
19
13
28
13
29
41, 53, 54
19
41
77
34
52
62
41, 53, 54, 55
13
For Personal & Private Use Only
प्रवचनसार (खण्ड- 1
1)
www.jainelibrary.org