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यत्किंचित
- मेरे शोध प्रबंध के प्रकाशन के लिये पूर्व में प्रयास किये गये थे, किन्तु सफलता नहीं मिल पाई। मित्रों का आग्रह बना रहा कि किसी भी प्रकार से शोध प्रबंध का प्रकाशन होना चाहिए। समय अपनी गति से व्यतीत होता रहा और मैं अन्यान्य कार्यों में व्यस्त रहा। इस वर्ष कुछ संयोग बना और 37 वर्षों पूर्व लिखा गया यह शोध प्रबंध अब पाठकों के हाथों में पहुंच रहा है।
प्रस्तुत शोध प्रबंध के प्रकाशन का श्रेय परमश्रद्धेय राष्ट्रसंत आचार्य श्रीमद्विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. को है। इस शोध प्रबंध के लिये उन्होंने मेरी कामना के रूप में अपने आशीर्वचन भी लिखकर उपलब्ध करवाये। इसके लिये मैं श्रद्धेय आचार्य भगवन् के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। साथ ही प्रख्यात इतिहासविद् माननीय डॉ.श्यामसुंदरजी निगम, निदेशक, श्री कावेरी शोध संस्था, उज्जैन ने मनोयोगपूर्वक मेरे शोध प्रबंध का अध्ययन कर अपना अभिमत उपलब्ध करवाया है। अतः मैं उनके प्रति भी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।
प्रस्तुत शोध ग्रंथ में त्रुटियाँ रह सकती हैं। विज्ञ पाठकों से विनम्र अनुरोध है कि वे त्रुटियों को सुधार कर अध्ययन करने का कष्ट करें और सम्भव हो तो मुझे सूचित करने का स्पष्ट करें, ताकि अवसर मिलने पर उनका समाधान किया जा सके।
सहयोग की अपेक्षाओं के साथ...
तेजसिंह गौड़
एल-45, कालिदास नगर, पटेल कॉलोनी, अंकपात मार्ग, उज्जैन - 456006 (म.प्र.) दिनांक : 17 नवम्बर 2010
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