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गया। दूसरे जो प्राचीन तीर्थ स्थल हैं जहां का जीर्णोद्धार करवाया गया तब वहां की प्राचीन कला नष्ट हो गई और इस प्रकार वस्तुस्थिति से अनभिज्ञ रहना पड़ता है। कहीं-कहीं अश्लीलता की आड़ में उत्कीर्ण प्रस्तर खण्डों पर प्लास्टर कर दिया गया। यदि यही भय है तो फिर ऐसे प्रस्तर खण्डों को निकलवाकर संग्रहालयों को सौंप देना चाहिये जिससे कलागत विशेषताएं सामने आ सकें।
संदर्भ सूची 1 जैन साहित्य और इतिहास, पृष्ठ 422/25 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 2 विक्रम कीर्ति मंदिर स्मारिका, पृष्ठ | पृष्ठ 331-32 . 3 भाग-2, पृष्ठ 322-325
26 इन्दौर स्टेट गजेटियर, भाग-1, पृष्ठ 669 4 विविध कौमुदी, पृष्ठ 165 27 टाड्स राजस्थान, सं. ठुक, पृष्ठ 1773; 5 कल्याण तीर्थांक, पृष्ठ 213
भाग 2 6 अनेकांत, 19/1-2, पृष्ठ 67-68 | 28 वही, पृष्ठ 1070-71 7 भारत के प्राचीन जैनतीर्थ, पृष्ठ 57 | 29 History of India & Eastern 8 दशपुर जनपद संस्कृति, पृष्ठ 120 | Architecture, Vol.II, Page 131 . 9 भारत के प्राचीन जैन तीर्थ, पृष्ठ 58 130 जैन तीर्थ सर्वसंग्रह, भाग-2, पृष्ठ 508 10 दशपुर जनपद संस्कृति, पृष्ठ 119-20 | 31 वही, पृष्ठ 334 11 वही, पृष्ठ 120
| 32 19/1-2, पृष्ठ 129 12 वही, पृष्ठ 120
133 वही, पृष्ठ 129 13 जैन तीर्थ सर्वसंग्रह, भाग -2, पृष्ठ 329-34 जैन तीर्थ सर्वसंग्रह, भाग-2, पृष्ठ 313332
14 14 जैन तीर्थ सर्वसंग्रह, भाग-2, पृष्ठ 333 | 35 मांडवगढ़ तीर्थ, पृष्ठ 43 15 उज्जयिनी दर्शन, पृष्ठा 84 ॐ वही, पृष्ठ 44 16 प्राचीन भारत के जैन तीर्थ, पृष्ठ 58 37 मुनिश्री हजारीमल स्मृति ग्रंथ, पृष्ठ 677 17 कल्याण तीर्थांक, पृष्ठ 272-73 ॐ वही, पृष्ठ 608 18 वही, तीर्थांक, पृष्ठ 541 |39 Selected Inscriptions Vol.I, 19 जैन साहित्य और इतिहास, पृष्ठ 442 | D.C.Sircar, Page 497 (1942) 20 भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, 40 मुनिश्री हजारीमल स्मृति ग्रंथ, पृष्ठ 683 पृष्ठ 331
| 41 जैन तीर्थ सर्वसंग्रह, भाग-2, पृष्ठ 328 21 जैन साहित्य और इतिहास, पृष्ठ 430- | 42 वही, पृष्ठ 316 31
43 वही, पृष्ठ 316 22 प्राचीन भारत के जैनतीर्थ, पृष्ठ 59 44 वही, पृष्ठ 316 23 वही, पृष्ठ 4
| 45 वही, पृष्ठ 316 24 जैन साहित्य और इतिहास, पृष्ठ 529- 46 प्राचीन भारत के जैनतीर्थ, पृष्ठ 58
| 47 अनेकांत, वर्ष 12, किरण 12 मई 1954,
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