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यहां कार्तिक पूर्णिमा और चैत्र की पूर्णिमा पर प्रतिवर्ष मेला लगता है। इस ग्राम के आसपास के अवशेष इस ग्राम की प्राचीनता और समृद्धि के द्योतक हैं।
(14) चन्देरी : पश्चिमी रेलवे की बीना कोटा शाखा पर रेलवे स्टेशन मुंगावली से 39 कि.मी. तथा मध्य रेलवे के ललितपुर जिला झांसी स्टेशन से 33 कि.मी. की दूरी पर चंदेरी है जो म.प्र. के गुना जिले में स्थित है। यह ऐतिहासिक स्थान है। जहां दुर्ग, नगरकोट, राजभवन एवं अनेक जलाशय है। नगर के मध्य चौबीसी जैन बड़ा मंदिर है जिसमें समान माप की पद्मासन पुराणोवत वर्ण की 24 प्रतिमाएं अलग-अलग शिखरबंध कोठरियों में विराजमान है।
नगर के समीप एक पहाड़ी में गुहा मंदिर है। कंदराओं से खंदार नाम पड़ गया। आदिनाथ मूर्ति की ऊंचाई 25 फीट है परन्तु इस पर लेख नहीं है। प्राप्त मूर्ति लेखो में प्राचीनतम सं.1283 वि. का है जिसमें निर्माणकर्ता का नाम अंतेसाह लंबकुंचक है। सं.1690 वि. में उत्कीर्ण अनेक मूर्तियां एक अन्य गुहा में है। भट्टारक पद्मकीर्ति का स्मारक है जिसमें चरण पादुकाओं पर वि.सं.1217 अंकित है।
नगर से 14 कि.मी. दूर उत्तर पश्चिम दिशा में बूढ़ी चन्देरी (प्राचीन चन्देरी) है। जहां दुर्ग प्राचीर राजभवन और अनेक जिनालय है। अनेक मूर्तियां जो यत्रतत्र पाई गई है संग्रहालय में रखी गई है। अंग विन्यास में समानुपात दृष्टव्य है। निर्माणकाल और निर्माणकर्ता का नाम किसी मूर्ति पर नहीं है। मूर्तियां प्राचीन है। इनकी कला देवगढ़ की गुप्तकालीन मूर्तियों जैसी उत्कृष्ट है।
(15) बजरंगगढ़ : गुना से आठ किलो मीटर की दूरी पर प्राचीन लघुनगर है जहां दुर्ग प्राचीर और अनेक भग्नावशेष हैं। इसे राजा जयसिंह ने बसाया था जो बजरंग (हनुमान) के भक्त थे। यहां भगवान शांतिनाथ, कुंथुनाथ और अरहनाथ की सुन्दर खड्गासनस्थ मूर्तियां एक भव्य जिनालय में है जिन पर सं.1236 वि. अंकित है। यह मंदिर सेठ पाड़ासाह का कहा जता है। परन्तु उनका नाम मूर्ति लेखों में नहीं है। मूर्तियां मनोहारी है।
(16) तूमैन : अशोकनगर से 9 कि.मी. की दूरी पर एक प्राचीन ग्राम है। बौद्ध ग्रन्थों में इसका उल्लेख तुम्बवन के नाम से हुआ है और जैन ग्रंथो में सर्वत्र आर्य वज्र का जन्म स्थान तुम्बवन बताया गया है। उनमें से कुछ प्रमाण हम यहां दे रहे हैं.
(1) आवश्यक नियुक्ति (दीपिका भाग 1 पत्र 136-2) (2) आवश्यक चूर्णि प्रथम भाग पत्र 390 (3) आवश्यक हारिभद्रीप टीका प्रथम भाग पत्र 289-1
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