SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४ कहाऊँ स्तम्भ एवं क्षेत्रीय पुरातत्व की खोज (२) लिस्टन ने १८३७ में इस स्थान को देखा एवं ४ फुट ६ इंच तक चौकोर भाग बताया । उन्होंने बताया कि इस चौकोर भाग में उकेरी मूर्ति के दोनों तरफ दो उपासक स्त्रियाँ मूर्ति के चरणों की वंदना करते हुये दिखाई गई हैं। (३) जनरल कनिंघम ने इस स्तम्भ का १८६१-६२ में निरीक्षण किया । उन्होंने नीचे के चौकोर भाग को ४.१/२ फुट ऊँचा एवं १ फुट १० इंच का चौकोर बताया । उन्होंने चौकोर भाग में बनी खड्गासन मूर्ति के एक तरफ एक पुरुष एवं दूसरी तरफ एक स्त्री दण्डवत् करते हुये पहचाना । स्तम्भ की कुल ऊँचाई उन्होंने २४ फुट ३ इंच बताई। .. (४) भगवानलाल इन्द्रजी पण्डित १८७३ में यहाँ आये । उन्होंने नीचे के चौकोर भाग में उकेरी खड्गासन मूर्ति के दोनों तरफ की मूर्तियों को दो स्त्री मूर्तियाँ लिखा है। (५) भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (१९७४) में लिखा है-"जमीन से सवा दो फुट ऊपर भगवान पार्श्वनाथ की सवा दो फुट अवगाहना वाली प्रतिमा उसी पाषाण में उकेरी हुई है ।....चरणों के दोनों ओर भक्त स्त्री-पुरुष हाथों में कलश लिये चरणों का प्रक्षालन कर रहे हैं।" (६) यह स्तम्भ सन् २००१ में जब डॉ० ओ० पी० अग्रवाल एवं इस लेख के लेखक एवं अन्य ने देखा तो पक्के सीमेन्ट के फर्श से केवल १.१/२ फुट ऊपर पार्श्वनाथ स्वामीकी खड्गासन मूर्ति उकेरी हुई है एवं इस मूर्ति के चरण एवं चरणों के दोनों तरफ के उपासक की मूर्तियों ने चप्पड़ छोड़ दिये हैं । वहाँ गोरखपुर के जैन महानुभावों ने बताया कि लगभग १५ वर्ष पूर्व उन्होंने यह पक्का फर्श चहारदिवारी एवं जमीन को ऊँचा करने का कार्य किया है। - इस प्रकार सन् ४६० ई० में बने स्तम्भ के चौकोर भाग में उकेरी मूर्ति के चरण एवं उनके दोनों तरफ बने उपासक आतताई के आक्रमण से भी बचे रहे एवं प्रकृति से भी सन् १९७४ तक बचे रहे परन्तु पिछले सम्भवतः १५ वर्ष में ही विखण्डित हो गये । अवश्य ही स्तम्भ के ऊपर का वर्षा का पानी पक्के फर्श पर पड़ा व उसके छींटे लगातार मूर्ति के चरणों पर पड़े इस कारण यह क्षति हो गयी । मूर्ति एवं स्तम्भ की किसी भी सुरक्षा की योजना में यह आवश्यक है कि कुछ उपाय जैसे फर्श को नीचा करना ताकि वर्षा के छींटे इस मूर्ति पर न आवें, अथवा फर्श पर स्तम्भ के चारों तरफ ढाल अवश्य बना दिया जावे । ___ यह भी विचारना उचित है कि स्तम्भ के निर्माण के समय फर्श कितना नीचे था एवं स्तम्भ के चौकोर भाग की ऊँचाई कितनी थी । इस विषय में निम्न बिन्दु विचारणीय हैं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004156
Book TitleKahau Stambh evam Kshetriya Puratattv ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra Mohan Jain
PublisherIdrani Jain
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy