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कहाऊँ स्तम्भ एवं क्षेत्रीय पुरातत्व की खोज
५. मानस्तम्भ का चित्र सर्वप्रथम फ्रांसिस बुकनान ने सन् १८०७ से १८१३ के बीच स्तम्भ का एक खाका बनाया, जो परिशिष्ट-१, पर देखा जा सकता है । उन्होंने इस स्तम्भ के पास के मंदिर का खाका भी बनाया जो इस संदर्भ के बाद कहीं नहीं मिलता है । यह मंदिर कुछ समय बाद ध्वस्त हो गया था । बुकनान ने एक छोटा-सा खाका ग्राम का भी बनाया है।
सन् १८३७ में लिस्टन का बनाया स्तम्भ का खाका प्रिंसेप ने छापा, जो परिशिष्ट-२ पर देखा जा सकता है । एक खाका कनिंघम ने १८६१-१८६२ में बनाया जो सबसे अधिक स्पष्ट है । यह खाका परिशिष्ट-४ पर देखा जा सकता है । इस खाके में प्रत्येक भाग के नाप फुट-इंच में सफाई से लिखे हैं । साथ में एक खाका उस भूभाग का भी दिखाया गया है जहाँ यह स्तम्भ खड़ा है।
इस स्तम्भ की एक फोटो भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ में छपी है जो परिशिष्ट६, पर देखी जा सकती है। अब इस लेख के साथ हम इस स्तम्भ की फोटो (देखें चित्र-८) एवं स्तम्भ के उकेरे पाँचों तीर्थंकरों की फोटो (देखें चित्र १ एवं ३-६) जो वर्ष २००२-३ में इन्टैक की लखनऊ शाखा ने इस स्तम्भ की वैज्ञानिक सुरक्षा का कार्य करते हये ली है, उनके सौजन्य से छाप रहे हैं। __इस पुस्तक में शिलालेख के पाँच लिथोग्राफ भी देखे जा सकते हैं-सर्वप्रथम बुकनान ने १८०७ से १८१३ के बीच बनाया जो परिशिष्ट-१ पर है । लिस्टन ने १८३७ या १८३८ में प्रिसेंप के कहने पर एक लिथोग्राफ बनाया जो परिशिष्ट-२ पर है । कनिंघम ने १८६१-६२ में इस स्तम्भ का लिथोग्राफ बनाया जो परिशिष्ट-४, पर है। डॉ० भगवानलाल इन्द्रजी पण्डित ने १८७३ में लिथोग्राफ तैयार किया जो परिशिष्ट-५ पर है । उपरोक्त भगवानलाल इन्द्रजी के लिथोग्राफ में एक दो शब्दों का संशोधन कनिंघम के लिथोग्राफ के आधार पर करते हुए जोन फेदफुल फ्लीट ने १८८८ में एक लिथोग्राफ तैयार किया जो परिशिष्ट-७ पर है । अब इस लेख की फोटो भी इस पुस्तक में छापी जा रही है जो २००२-०३ में इन्टैक द्वारा खींची गई। देखें चित्र-७ ।
६. स्तम्भ की ऊँचाई (१) डॉ फ्रांसीस बुकनान ने १८०७ से १८१३ के बीच में इस स्तम्भ का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया इसका बेस २२.१/२ इंच चौकोर एवं लगभग ४ फुट ऊँचा है । इस भाग में बनी मूर्ति के दोनों तरफ दो उपासक बने हैं ।
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