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. परम पूज्य अध्यात्मयोगी श्रमणाचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज द्वारा
- संस्कृत-प्राकृत अध्यात्म/ध्यान ग्रंथों का अध्ययनयोगसार प्राभृत
योगसार वैराग्य मणी माला वारसाणुपेक्खा अमृता शीती कार्तिकेयानुप्रेक्षा परमात्म प्रकाश ध्यान सूत्राणी तत्वानुशासन
श्रृंगार वैराग्य तरंगिणी ज्ञानार्णव
द्वात्रिंशतिका आत्मानुशासन भाव संग्रह (संस्कृत) तत्त्वसार
भाव संग्रह (प्राकृत) ज्ञानंकुश
संस्कृत-प्राकृत आचारांग ग्रंथों का अध्ययनमूलाचार
रयणसार मूलाचार प्रदीप रत्न करण्डक श्रावकाचार भगवती आराधना पुरूषार्थ सिद्धि उपाय मरण कण्डिका कुन्दकुन्द श्रावकाचार अनगार धर्मामृत वसुनन्दी श्रावकाचार आचार सार
अध्यात्म प्रकाश आराधना सार
सागार धर्मामृत चारित्र सार
त्रैवेनकाचार प्रतिक्रमण त्रयी श्रावकाचार संग्रह (36)
क्रिया कोष - प्राकृत - संस्कृत के अन्य ग्रंथों का अध्ययनप्रायश्चित शास्त्र
प्रतिष्ठा प्रदीप श्री भू-वलय
प्रतिष्ठा रत्नाकर संगीत समयसार
प्रतिष्ठा तिलक छंद मंजरी
स्वर विज्ञान कल्याणालोचना
निमित्त विज्ञान छहढाला विधि-विधान (प्रतिष्ठा ग्रंथ) -
स्वरूपदेशना विमर्श
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