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व्यवस्था की गयी। संघचर्या व प्रवचनों के समय समाज का उत्साह देखते ही बनता था, सही अर्थों में आचार्य श्री के अति अल्प प्रवास में श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, कचौड़ा बाजार एक पवित्र तीर्थ नजर आ रहा था । आचार्य श्री ने उक्त मन्दिर के नीचे रिक्त हुए स्थान की शुद्धि कराई जहाँ पर समाज द्वारा ध्यान केन्द्र बनाने की योजना है। जिसके लिए आचार्य श्री ने आशीर्वाद दिया। आचार्य श्री के संघ में मैंने जो धर्स अध्ययन, अनुशासन, समयबद्धता व आत्मा में लीन रहने की जो साधना देखी वह सदैव दर्शनीय अनुकरणीय है। ___आचार्यश्री ने समाज के आग्रह पर दशलक्षण पर्व पर डा. हर्षवर्धन मेहता, सोलापुर व अन्य ब्रह्मचारियों को दश धर्मों पर प्रकाश डालने हेतु बेलनगंज चौराहा स्थित श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन छोटा मन्दिर पर वाचना हेतु निर्देशित किया। समाज को विशेष धर्म लाभ हुआ।
आचार्य श्री सदैव प्रत्येक दिगम्बर जैन साधु की समर्पित भाव से बिना किसी भेदभाव के सेवा-सुश्रुषा करने के लिए समस्त समाज को प्रेरित करते हैं। यह श्रमणोत्तम आदर्श चरित्र का उत्कृष्ट उदाहरण है। _ दिनांक 13,14,15 अक्टूबर 2012 में जो विद्वत् संगोष्ठी हुई और इस संगोष्ठी में विषय विशेष पर आचार्य श्री के सानिध्य में जो गंभीर मंथन व चिंतन हुआ ऐसा मैंने कभी नहीं देखा यह भविष्य में दिगम्बर जैन धर्म की रक्षा एवं एकरूपता हेतु प्रेरणादायक है।
आचार्य श्री एवं समस्त संघ के पावन चरणों में कोटि-कोटि नमोस्तु ।
(iv)
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