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________________ विषयानुक्रमणिका 1. त्रिपिटक के अध्ययन की उपयोगिता - डॉ. अंगराज चौधरी 2. बौद्ध दर्शन में अनात्मवाद की महत्ता - डॉ. प्रद्युम्न दुबे 3. बौद्ध धर्म के सामाजिक सन्दर्भ : समता, मैत्री और करुणा - डॉ. शिवनारायण जोशी 'शिवजी ' 4. हिंसा एवं आतंकवाद के निवारण में बौद्ध धर्म की भूमिका - डॉ. वैद्यनाथ लाभ 5. दलितों का उत्थान और बौद्धधम्म-दर्शन 6. पालि - साहित्य में प्रजातान्त्रिक मूल्य 7. विपश्यना एवं मानव - मनोविज्ञान 8. बौद्धदर्शन में निर्विकल्पता का स्वरूप एवं उसका जीवन में महत्त्व - डॉ. धर्मचन्द जैन - डॉ. विमलकीर्ति - डॉ. विजयकुमार जैन - डॉ. चन्द्रशेखर - 9. समसामयिक परिप्रेक्ष्य में शून्यवाद की प्रासंगिकता - डॉ. राजकुमारी जैन 10. बौद्ध धर्म-दर्शन एवं सामाजिक न्याय - डॉ. औतारलाल मीणा 11. आधुनिक परिप्रेक्ष्य में बौद्ध धर्म-दर्शन के कतिपय सिद्धान्तों की नवीन व्याख्या - डॉ. दिलीप सक्सेना 12. बौद्ध धर्म-दर्शन में नारी का अभ्युदय - डॉ. नीहारिका लाभ 13. बौद्ध धर्म-दर्शन के अध्ययन की उच्चशिक्षा में प्रासंगिकता - डॉ. हेमलता बोलिया 14. अश्वघोष के महाकाव्यों की प्रयोजनवत्ता - डॉ. सत्यप्रकाश दुबे 15. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पंचशील की प्रासंगिकता - डॉ. प्रभावती चौधरी Jain Education International For Personal & Private Use Only 11 23 31 39 45 53 58 62 69 73 83 90 99 104 110 www.jainelibrary.org
SR No.004152
Book TitleBauddh Dharm Darshan Sanskruti aur Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain, Shweta Jain
PublisherBauddh Adhyayan Kendra
Publication Year2013
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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