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आगम
(२८-व)
“तन्दुलवैचारिकं” - प्रकीर्णकसूत्र-५ (मूलं+अवचूर्णि:)
-------------- मूलं [१४]/गाथा ||४९...|| --------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-२८-व), प्रकीर्णकसूत्र-[9] “तंदुलवैचारिक मूलं एवं विजयविमल गणि कृता अवचूर्णि:
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निद्धनहा संठियसुसिलिट्ठगूढगुप्फा एणीकुरुर्विदावत्सवहाणुपुवजंघा समुग्गनिमग्गगूढजाणू गयससणसु
जायसन्निभोरू वरवारणमत्ततुल्लविक्कमविलासियगई सुजायवरतुरयगुज्झदेसा आइण्णयब निरुवलेवा Miपमुइयवरतुरयसीहअइरेगवट्टियकडी साहयसोणंदमुसलदप्पणनिगरियवरकणगच्छरुसरिसवरवहरवलियम
ज्झा गंगावत्तपयाहिणावत्ततरंगभंगुररविकिरणतरुणयोहियविकोसायंतपउमगंभीरवियडनाभी उजुयसमसहियसुजायजायजच्चतणुकसिणनिद्धआइजलडहसुकुमालमउयरमणिजरोमराई झसविहगसुजायपीणकुच्छी झसोयरा पउमवियडनाभा संगयपासा सन्नयपासा सुंदरपासा सुजायपासा मियमाइयपीणरईयपासा अकरंडयकणयरुयगनिम्मलसुजायनिरुवहयदेहधारी पसत्यवत्तीसलक्खणधरा कणगसिलायलुजलपसत्थ-18 समतलउवचियविच्छिन्नपिहुलवच्छा सिरिवच्छंकियवच्छा पुरवरफलिहववियभुया भुयगीसरविउलभोगआयाणफलिहउच्छूढदीहबाहू जुगसंनिभपीणरइयपीवरपउट्ठा संठियउवचियघणथिरसुबद्धसुवढ्सुसिलिट्ठलट्ठपञ्चसंधी रत्ततलोवचियमउयमंसलसुजायलक्खणपसत्थअच्छिद्दजालपाणी पीवरवट्टियसुजायकोमलवरंगु-18 |लिया तंवतलिणसुइरुहरनिद्धनक्खा चंदपाणिलेहा सूरपाणिलेहा संखपाणिलेहा चक्कपाणिलेहा सुस्थि
यपाणिलेहा ससिरविसंखचक्कसुत्थियसुविभत्तसुविरइयपाणिलेहा वरमहिसवराहसीहसलउसभनागवर|विउलउन्नयमउयक्खंधा चउरंगुलमुप्पमाणकंबुवरसरिसगीवा अवडियसुविभत्तचित्तमंसू मंसलसंठियपसत्थसहूलविउलहणुया ओयवियसिलप्पवालविंबफलसन्निभाधरुवा पंडुरससिसगलविमलनिम्मलसंखगो
दीप अनुक्रम
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